*समान नागरिक संहिता मामले पर केंद्रने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा
*कोर्ट संसद को कानून बनाने के लिए निर्देश नहीं दे सकती है: केंद्र सरकार
*अलग-अलग कानून देश की एकता का अपमान करते हैं: केंद्र की दलील
नइ दिल्ही: भारत की केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में समान नागरिक संहिता मामले पर एक हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामे में केंद्र सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थन में कई दलीलें पेश की और तर्क दिया कि अलग-अलग कानून देश की एकता का अपमान करते हैं.
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर की थी जिसमें सरकार को तलाक, गोद लेने, संरक्षकता, उत्तराधिकार, विरासत, रखरखाव, शादी की उम्र और गुजारा भत्ता के लिए समान कानून बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से समान नागरिक संहिता से जुड़ी याचिकाओं पर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड में सभी पर्सनल लॉ समा जाएंगे. केन्द्र सरकार ने कहा कि संविधान में दिए गए नीति निर्देशक सिद्धांत किसी भी राज्य को इस बात के लिए बाध्य करते हैं कि सभी नागरिकों को बराबर कानूनी हक मिले.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट पर केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता बनाने की मांग करने वाली तीनों ही जनहित याचिकाओं का विरोध किया है. केंद्र सरकार ने कहा है कि कोर्ट संसद को कानून बनाने के लिए निर्देश नहीं दे सकती है. यह सरकार का नीतिगत निर्णय होता है.