आचार्य चाणक्य की नीतियां (Chanakya Niti) एक सफल जीवन के लिए बेहद जरूरी हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों(Chanakya Niti) का संग्रह अर्थशास्त्र में किया है। उनके विचार आज के दौर में भी उतने ही प्रासंगिक लगते हैं जितने उनके अपने समय में थे। एक सफल जीवन की कसौटी पर उनकी नीतियां हमेशा मदद करती हैं।
आचार्य चाणक्य की नीतियां (Chanakya Niti):
- मनुष्य को आने वाली मुसीबतों से बचने के लिए धन की बचत करना चाहिए। जरूरत पड़ने पर धन-संपदा त्यागकर पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए, लेकिन बात यदि आत्मा की सुरक्षा की आ जाए, तो मनुष्य को धन और पत्नी दोनों को तुच्छ समझना चाहिए।
- चाणक्य नीति के के अनुसार, जो मनुष्य शास्त्रों के नियमों का निरंतर अभ्यास करके शिक्षा प्राप्त करता है, उसे सही-गलत और शुभ कार्यों का ज्ञान हो जाता है। ऐसे व्यक्ति के पास सर्वोत्तम ज्ञान होता है और ऐसे ही लोग जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
- दुष्ट पत्नी, झूठा मित्र, धूर्त सेवक और सांप के साथ कभी नहीं रहना चाहिए। ये ठीक वैसा ही है जैसे मृत्यु का गले लगाना।
- उस देश में नहीं रहना चाहिए जहां सम्मान और रोजगार के साधन न हों। वहां पर मनुष्य को नहीं रहना चाहिए जहां आपका कोई मित्र न हो। साथ ही उस स्थान का भी त्याग करना चाहिए जहां पर ज्ञान न हो।
- सेवक की परीक्षा तब होती है जब बुरा वक्त आता है। रिश्तेदार की परीक्षा तब होती है जब मुसीबत में घिर जाएं। मित्र की परीक्षा संकट के समय होती है और पत्नी की परीक्षा दुःख की घड़ी में होती है।
- जो व्यक्ति दिखावा करने में व्यस्त रहते हैं, उनके जीवन में कभी शांति नहीं रहती हैं। चाणक्य नीति के अनुसार, ऐसे लोग हमेशा एक ऐसी प्रतिस्पर्धा में व्यस्त रहते हैं जिसका न तो कोई अंत होता है और न ही को महत्व। दिखावा करने वाला व्यक्ति झूठ और गलत कार्यों में लिप्त हो जाता है। जो बाद में उसके लिए परेशानी का कारण बनती है।
- आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में आलस से दूर रहने का संदेश दिया है। क्योंकि आलस व्यक्ति की प्रतिभा को नष्ट कर देता है। आलस के कारण व्यक्ति को लाभ के अवसरों से वंचित होना पड़ता है। आलसी व्यक्ति सदैव लक्ष्य से दूर रहता है। इसलिए इससे दूर रहने में ही सबकी भलाई है।