हमारा देश एक बढ़ती हुई उम्मीदों का सागर बना हुआ है इसमें कई लोग रहते हे और एक अच्छी बात यह हे की कई लोगो के अंदर भी एक हिंदुस्तान रहता हे। आज जो हिंदुस्तान बना हुआ है उसमे कई तरीके से अंग्रेजो का हाथ भी हे।में ऐसा नहीं कह रहा की अंग्रेज का हमे गुलाम बनाना अच्छा था।लेकिन रेलवे के अलावा भी कई फायदे अंग्रेज हमारे लिए छोड़ के गए हे।
में एक चीज की बात करना चाहूंगा वो हे “शिक्षा” शिक्षा का जो माध्यम अभी उपयोग में हे, वो माध्यम बहोत पुराना हे, असलियत में आज की शिक्षा ऐसी हे की वो हमारे जवान देश की जवानी को खा रही है!
आज हालात ऐसे हे की आप देश के लिए कुछ कर पाए तब तक आपकी २१ से २८ की उम्र निकल चुकी होती है। आज कल ५ /६ साल लगाने ने के बाद लोग यू.पी.एस.सी जैसी परीक्षा ए निकाल कर बहोत खुश होते हे, लेकिन देश की सेवा करने के लिए देश के युवान अपनी युवानी कुर्बान कर रहे हे। और वैसे देशप्रेम को नजर रखते हुए ये जस्बा अच्छा हे। लेकिन देश को अच्छी तरीके से। इस युवानो की युवा अवस्था का उपयोग करना अनिवार्य हे।
हाल ही में , इंटरनेट पे इंडियन आर्मी के बारे में पढ़ रहा था वह जो फौज में भर्ती की जाती हे वो १९ से २३ साल में की जाती हे। और उसका कारण सिर्फ़ ये नही ही की वहा फिजिकल रूप ज्यादा अनिवार्य हे, उनका मानना भी यह हे की १९ से २५ की उम्र में हम हमारी सारी क्षमताए बढ़ा सकते हे. अपने मस्तिष्क का अच्छा उपयोग एवम बेहतर कार्य कुशलता हासिल कर सकते हे।
बीच में आने वाली यानी कि ११ और १२ वी कक्षा के बाद आने वाली परीक्षाएं जैसे नीट, जे. ई. ई, के लिए लोग कई बार अपना एक से दो साल लगाते हैं और फिर जाके आईआईटी, एन आई टी में और देश के अच्छे मेडिकल कालेज में अपना एडमिशन करवाते हे. अब अगर इस चीज की बात करे तो हम सब को मालूम हे की इंजिनियरिंग जेसे प्रेक्टिकल फील्ड में तो ये पुराने जमाने वाला तकनीकी ज्ञान कुछ काम नहीं आने वाला और दूसरी तरफ मेडिकल में पुस्तक ज्ञान काम आता ही है लेकिन कुछ सीमा तक सीमित रह जाता हे। तो क्यूं हम एक अच्छी कालेज के लिए समय लगाते है? क्यूं ये देश का युवा एक परीक्षा लक्षी प्राणी बन कर रह जाता हे!
आज जो प्राइवेट कंपनी हे वो २१ साल के नौजवानों को कंपनी में जगह देती हे। और कम वेतन पर उनका अधिक इस्तेमाल किया जाता हे। यहां हर वो सेक्टर की बात कर रहा हूं जिसमे युवान अपना कीमती और अमूल्य ऐसी युवानी गवा रहा हे , वो ठीक नही है। अगर आप अपना भविष्य चुन ना चाह रहे हे तो ऐसा क्यों कोई नहीं देख रहा की इसमें मुझे कमाने के लिए कितना समय लगेगा!अगर आम जनता ऐसा सोचना शुरू करेगी तब जाके सरकार शिक्षा के समय में बदलाव ला सकती है।

Shreyas Parekh
Freelance Writer
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