HomeNewsInternationalPOK history : जानें पाक अधिकृत कश्मीर का इतिहास

POK history : जानें पाक अधिकृत कश्मीर का इतिहास

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pok history : पाक अधिकृत कश्मीर, का मतलब है कश्मीर का वह हिस्सा जिस पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्ज़ा किया हुआ है. POK, भारत का हिस्सा है क्योंकि कश्मीर के राजा हरि सिंह और स्वर्गीय पीएम जवाहर लाल नेहरू के बीच इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेस पर समझौता हुआ था.

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पाक अधिकृत कश्मीर का इतिहास (POK history) का इतिहास

सन 1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय, अंग्रेजों ने रियासतों पर अपना दावा छोड़ दिया और उन्हें भारत या पाकिस्तान में शामिल होने या स्वतंत्र रहने के विकल्पों पर निर्णय लेने की आजादी दी.

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जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत और पाकिस्तान किसी को नहीं चुना और जम्मू और कश्मीर एक स्वतंत्र प्रभुत्व वाला देश बनाना टतय किया था. सन 1947 में जम्मू और कश्मीर राज्य में बहुत जनसांख्यिकीय विविधता थी. कश्मीर की घाटी, सबसे अधिक आबादी वाला क्षेत्र और एक ऐतिहासिक रूप से शक्तिशाली राज्य था, जिसमें अफगान-तुर्क और अरब लोगों की आबादी थी. इसलिए यहाँ की जनसंख्या 97% मुस्लिम और शेष 3% धार्मिक अल्पसंख्यक थे, जो कि ज्यादातर कश्मीरी पंडित समुदाय से थे.
जम्मू संभाग के पूर्वी जिलों में एक हिंदू बहुसंख्यक आबादी सांस्कृतिक रूप से हिमाचल प्रदेश की तरफ लगाव रखती थी जबकि दूसरी ओर पश्चिमी जिलों जैसे कोटली, पुंछ और मीरपुर में मुस्लिम बहुमत था और इनका रूख पाकिस्तान की तरफ था.

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सन 1947 में पुंछ में महाराजा हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया था. इस विद्रोह का कारण हरि सिंह द्वारा क्षेत्र में किसान पर दंडात्मक कर लगाना था. पाकिस्तान ने इस मौके का फायदा उठाना चाहा.  अक्टूबर 21, 1947 को, उत्तरी-पश्चिमी सीमा प्रांत (NWFP) के कई हजार पश्तून आदिवासियों (जिन्हें पाकिस्तान की सेना का समर्थन प्राप्त था) ने इस इलाके को महाराज के शासन से मुक्त करने के लिए विद्रोह कर दिया था.

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इस बिगडती स्थिति को देखते हुए महाराजा हरी सिंह ने 24 अक्टूबर 1947 को भारत से सेन्य मदद की गुहार की और भारत ने कहा कि वह तभी मदद करेगा जब राजा उसके साथ “Instruments of Accession of Jammu & Kashmir to India” पर अपने हस्ताक्षर करेंगे.

इस प्रकार महाराजा हरि सिंह ने जम्मू & कश्मीर की रक्षा के लिए शेख़ अब्दुल्ला की सहमति से जवाहर लाल नेहरु के साथ मिलकर 26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ जम्मू & कश्मीर के अस्थायी विलय की घोषणा कर दी और “Instruments of Accession of Jammu & Kashmir to India” पर अपने हस्ताक्षर कर दिये.

इस नये समझौते के तहत जम्मू & कश्मीर ने भारत के साथ सिर्फ तीन विषयों: रक्षा, विदेशी मामले और संचार को भारत के हवाले कर दिया था. 
समझौते के बाद भारतीय सैनिकों को तुरंत श्रीनगर ले जाया गया, इसके बाद पाकिस्तान की सेना खुलकर भारत के साथ लड़ने लगी. इसी लड़ाई के बीच दोनों देशों के बीच यथास्थिति बनाये रखने के लिए समझौता हो गया और जो जिले पाकिस्तान ने हथियाए थे वे उसके पास ही रह गए. इन्हीं हथियाए गए जिलों को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK history) कहा जाता है जिन्हें पाकिस्तान, आजाद कश्मीर कहता है.

पाकिस्तान ने प्रशासनिक सुविधा के लिए POK को दो भागों में बाँट रखा है. जिन्हें  आधिकारिक भाषाओं में जम्मू और कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान कहा जाता है. 
आज़ाद कश्मीर (Azad Kashmir), आज़ाद कश्मीर अंतरिम संविधान अधिनियम, 1974 के तहत शासित होता है. आज़ाद कश्मीर (Azad Kashmir) में एक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और एक परिषद है, लेकिन शासी संरचना पूरी तरह से शक्तिहीन है और पाकिस्तान सरकार के अधीन काम करती है.

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