महाराणा प्रताप(Maharana Pratap Jayanti) का जन्म 9 मई, 1540 को कुंभलगढ़ दुर्ग (पाली) में अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हुआ था। महाराणा प्रताप(Maharana Pratap Jayanti) को हमारे देश के पहले स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मनाया जाता है।
महाराणा प्रताप के पिता का नाम उदय सिंह द्वितीय और माता का नाम महारानी जयवंता बाई था। महाराणा प्रताप अपने सभी भाई-बहनों में सबसे ज्यादा युद्ध में माहिर थे।
महाराणा प्रताप को बचपन और युवावस्था में कीका नाम से भी पुकारा जाता था। ये नाम उन्हें भीलों से मिला था जिनकी संगत में उन्होंने शुरुआती दिन बिताए थे।
महाराणा ने उस समय मुगल साम्राज्य के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी जब दूसरों ने अकबर के वर्चस्व को स्वीकार कर लिया था।
महाराणा प्रताप ने मुगल साम्राज्य के विस्तार वाद के खिलाफ सैन्य प्रतिरोध और हल्दीघाटी की लड़ाई काफी अहम मना जाती है।
महाराणा प्रताप के पास चेतक नाम का एक घोड़ा था जो उन्हें सबसे प्रिय था। प्रताप की वीरता की कहानियों में चेतक का अपना स्थान है। उसकी फुर्ती, रफ्तार और बहादुरी की कई लड़ाइयां जीतने में अहम भूमिका रही। हल्दीघाटी युद्ध में उसे भी गंभीर चोटें आईं, जिसके बाद उसकी मृत्यु हो गई।
1582 में दिवेर के युद्ध में राणा प्रताप ने उन क्षेत्रों पर फिर से कब्जा जमा लिया था जो कभी मुगलों के हाथों गंवा दिए थे। कर्नल जेम्स टॉ ने मुगलों के साथ हुए इस युद्ध को मेवाड़ का मैराथन कहा था। 1585 तक लंबे संघर्ष के बाद वह मेवाड़ को मुक्त करने में सफल रहे।
महाराणा प्रताप जब गद्दी पर बैठे थे, उस समय जितनी मेवाड़ भूमि पर उनका अधिकार था, पूर्ण रूप से उतनी भूमि अब उनके अधीन थी। उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए संघर्ष करके हुए अपने प्राण त्याग दिए थे।