6 मई को Adi Shankaracharya की 1234 वीं जयंती है। हिंदू धर्म की पुर्नस्थापना करने वाले आदि शंकराचार्य(Adi Shankaracharya) का जन्म लगभग 1200 वर्ष पूर्व कोचीन से 5-6 मील दूर कालटी नामक गांव में नंबूदरी ब्राह्राण परिवार में जन्म हुआ था।
Adi Shankaracharya जयंती हर साल उनके भक्तों द्वारा वैशाख के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि या पूर्णिमा चंद्र पखवाड़े के पांचवें दिन के दौरान मनाई जाती है।
गुरु शंकराचार्य ने बहुत ही अल्पआयु में वेदों को कंठस्थ कर इसमें महारथ हासिल कर लिया था। शंकराचार्य बचपन से प्रतिभा सम्पन्न बालक थे। तीन साल की उम्र में ही उन्हें मलयालम का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। आदि गुरु शंकराचार्य की जयंती के अवसर पर आइए जानते हैं इसका महत्व और उनके जीवन से जुड़े कुछ बातों के बारे में।
इस दिन को हिंदुओं के बीच एक धार्मिक और पवित्र त्योहार माना जाता है क्योंकि वे आदि शंकराचार्य के जन्म का जश्न मनाते हैं, जिन्हें भगवान शिव के अवतार के रूप में जाना जाता है। आज के दिन भगवान शिव की पूजा विधान से करने के साथ सत्संग का आयोजन करते
आदि शंकराचार्य के पिता का नाम शिव गुरु नामपुद्र और माता का नाम विशिष्ठा देवी था। कहा जाता है कि भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर स्वयं उन्हें यहां जन्म लिया था।
आदि शंकराचार्य के अनमोल विचार
- अपनी इन्द्रियों और मन को वश में करो और अपने हृदय में प्रभु को देखो।
- प्रत्येक वस्तु अपने स्वभाव की ओर बढ़ने लगती है। मैं हमेशा सुख की कामना करता हूं जो कि मेरा वास्तविक स्वरूप है। मेरा स्वभाव मेरे लिए कभी बोझ नहीं है। खुशी मेरे लिए कभी बोझ नहीं है, जबकि दुख है।
- बंधन से मुक्त होने के लिए बुद्धिमान व्यक्ति को अपने और अहंकार के बीच भेदभाव का अभ्यास करना चाहिए।
- हमारी आत्मा एक राजा के समान होती है और हर व्यक्ति को यह ज्ञान होना चाहिए कि जो शरीर, इन्द्रियों, मन बुद्धि से बिल्कुल अलग होती है। आत्मा इन सबका साक्षी स्वरूप हैं।
- धन, लोगों, रिश्तों और दोस्तों या अपनी जवानी पर गर्व न करें।