रूस-यूक्रेन युद्ध में हैदराबाद के एक शख्स की मौत हो गई है. शख्स की पहचान मोहम्मद असफान के रूप में हुई है, जो रूसी सेना के साथ यूक्रेन के खिलाफ लड़ रहा था. बताया जा रहा है कि उसे उसके एजेंट ने धोखे से रूसी सेना के साथ लड़ने के लिए सहायक के रूप में भर्ती किया गया था.|
रूस-यूक्रेन युद्ध में हैदराबाद के एक शख्स की मौत हो गई है. शख्स की पहचान मोहम्मद असफान के रूप में हुई, जो रूसी सेना में सहायक के रूप में काम कर रहा था. बताया जा रहा है कि उसे उसके एजेंट ने धोखे से रूसी सेना के साथ लड़ने के लिए सहायक के रूप में भर्ती किया था.|
30 वर्षीय मोहम्मद असफान ने रूसी सेना के लिए काम करते हुए अपनी जान गंवाई. एजेंट ने कथित रूप से अन्य लोगों के साथ असफान को भी सहायक के रूप में युद्ध के मैदान में धकेल दिया था. उसके घर में पत्नी और दो बच्चे हैं. |
सात भारतीय को रूसी सेना ने किया गिरफ्तार
मोहम्मद असफान की मौत की खबर ऐसे समय में आई है जब रूसी सेना ने कथित रूप से सात भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया है और जबरन उन्हें सेना के साथ यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए युद्ध के मैदान में धकेल रहे हैं. सोशल मीडिया पर इसका एक कथित वीडियो भी सामने आया,जिसमें वे भारत सरकार से अपनी वापसी कराने की गुहार लगा रहे हैं.|
वीडियो में भारतीयों ने यह भी दावा किया कि अन्य सभी लोगों के साथ उन्हें एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया और उसे रसोइया और ड्राइवर के रूप में काम करने की पेशकश की गई|
सहायक के रूप में धोखे से किए गए भर्ती
रूस यूक्रेन युद्ध अपने तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है और इस बीच रूसी सेना के लिए काम करने वाले भारतीयों की खास चर्चा है. कुछ हफ्ते पहले ही खबर आई कि दर्जन भर भारतीयों को रूसी सेना के साथ जंग लड़ने के लिए सहायक के रूप में धोखे से भर्ती किया गया था. उन्हें यूक्रेनी सेना के खिलाफ फ्रंटलाइन पर तैनात कर दिया गया था.|
असफान की ही तरह और भी दर्जन भर भारतीय रूसी सेना के साथ यूक्रेन के खिलाफ लड़ रहे हैं. भारी संख्या में भारतीय भी सालों से रूस में रह रहे हैं, जहां दर्जनों भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती किया गया था.|
करीब दो लाख रुपये दी जा रही तनख्वाह
बताया जाता है कि रूसी सेना के लिए सहायक के रूप में काम करने वाले लोगों को प्रति महीने 195,000 रुपये तनख्वाह के रूप में दिए जा रहे हैं. साथ ही 50 हजार रुपये तक के और भी कई बेनिफिट्स दिए जाते हैं.| जिन्हें भी सहायक के रूप में काम करना है उन्हें कम से कम एक साल का कॉन्ट्रेक्ट साइन करना होता है. कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक, वे बीच में छोड़कर नहीं भाग सकते.|