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नेप्चून प्लैनेट नेप्चून के बारे में जानकारी

खगोल में खोजबीन करने के बाद अंगनान ग्रह सितंबर 1846 को पहली दफा दूरबीन से देखा गया | और इसका नाम नेपच्यून रख दिया | प्राचीन रोमन धर्मों में समुद्र के देवता थे जो स्थान प्राचीन भारत में वरुण देवता का है इसीलिए इसको हिंदी मे वरुण कहा जाता है |

नेप्चून सूर्य से सौरमंडल का आठवां और चौथा सबसे बड़ा ग्रह है | यह तथाकथित बाहरी ग्रहण या गैस ग्रहण का हिस्सा है | इसमें धूल और चट्टानों से बने पांच हल्के छले हैं 14 , उपग्रह या चंद्रमा है | और इसका द्रव्यमान पृथ्वी के 17,, गुना के बराबर है |

नेपच्यून यानी हिंदी में वरुण ग्रह सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह है | इसका कारण सूर्य से उसकी दूरी है | दूर होने की वजह से उसे सूर्य का ज्यादा प्रकाश नहीं मिल पाता है | इसका औसत तापमान -228 सेल्सियस रहता है |

नेप्चून ग्रह की खोज 1846, में आज ही के दिन सौर मंडल के ग्रह नेपच्यून , यानी वरुण, की खोज फ्रेंच और ब्रिटिश एस्ट्रोओनोमर्स , में ने मिलकर की थी | इसकी खोज मैथमेटिकल प्रिडिक्शन के जरिए की गई थी के जरिए की गई थी यानी इसकी खोज में टेलीस्कोप के अलावा दूसरे वैज्ञानिक उपकरण का इस्तेमाल नहीं हुआ था

नेपच्यून का रंग दर्स्यमान तरंग धैर्य पर निम्न कारण स्पष्ट रूप से नीला है जोकि विरेंस का रंग हल्का श्याम है |

Neptune planet Neptune 2

नेपच्यून की खोज न केवल 1758, धूमकेतु की वापसी के बाद न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के लिए सबसे बड़ी जीत का प्रतिनिधित्व करती है | बल्कि उस बिंदु को भी चिन्ह , करती है | जहां अवलोकन के बजाय गणित और सिद्धांत ने खोगोल्य अनुसंधान में नेत्र को करना शुरू कर दिया |

नेपच्यून ने तब आकार लिया जब लगभग 4.5 , अरब साल पहले सौरमंडल का बाकी हिस्सा बना | जब गुरुत्वाकर्षण घूमती हुई गैस और धूल को अपनी ओर खींच लिया | और इस विशाल बर्फ में तब्दील हो गया | अपने पड़ोसी यूरेनस की तरह संभवत सूर्य के करीब बना और लगभग 4, अरब साल पहले बाहरी सौरमंडल में चला गया |

यह नेप्चून की पहचान |

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