Home News Gujarat गुजरात में Uniform Civil Code लागू करने की तैयारी

गुजरात में Uniform Civil Code लागू करने की तैयारी

चूनाव से पहेले गुजरात बीजेपी का बडा दांव

Uniform Civil Code in gujarat

*चूनाव से पहेले गुजरात बीजेपी का बडा दांव
*समान नागरिक संहिता को लेकर सदन मे प्रस्ताव लाएगी सरकार

गांधीनगर: गुजरात मे चुनाव घोषित मे जब अब गीनती के दीन रहे गऐ है उससे पहेले भारतीय जनता पार्टी बडा दाव खेलने जा रही है।

गुजरात सरकार समान नागरिक संहिता (युनिफोर्म सीवील कोड) को लागू करने की तैयारी कर रही है। आज शनिवार को कैबिनेट की बैठक के बाद समान नागरिक संहिता को लेकर बड़ा ऐलान होने की संभावना है। शादी, तलाक के लिए भी यही नियम लागू होंगे। गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी और केंद्रीय मंत्री पु3षोत्तम रूपाला आज दोपहर इसकी घोषणा कर सकते है। राज्य सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने की सिफारिश करेगी। कैबिनेट बैठक के बाद कमेटी गठित की जाएगी। गुजरात सरकार समान नागरिक संहिता को लेकर सदन मे प्रस्ताव लाएगी।

उत्तराखंड की तरह गुजरात में भी, राज्य सरकार समान नागरिक संहिता का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन कर सकती है। कैबिनेट के बाद इसकी आधिकारिक घोषणा की जाएगी। कैबिनेट बैठक के बाद गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी और परसोत्तम रूपाला इसका ऐलान कर सकते हैं.

हालांकि यह काम नई सरकार में ही किया जा सकता है। क्योंकि अगर कुछ दिनों में गुजरात चुनाव की घोषणा हो जाती है तो आचार संहिता लागू हो जाएगी. इससे पहले राज्य सरकार अपनी तरफ से यह संदेश देना चाहती है कि राज्य सरकार समान नागरिक संहिता के समर्थन में है. इसलिए आज की अंतिम कैबिनेट में ही इस संबंध में प्रस्ताव रखा जाएगा। इसके बाद इसकी आधिकारिक घोषणा की जाएगी।

महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत की आजादी के बाद से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) या समान नागरिक संहिता को लागू करने की लगातार मांग होती रही है। यूसीसी एक ऐसा कानून होगा जो किसी भी धर्म, जाति या यौन अभिविन्यास के खिलाफ भेदभाव नहीं करता है। देश का संविधान यह भी कहता है कि देश को अपने नागरिकों को ऐसे कानून उपलब्ध कराने का ’प्रयास’ करना चाहिए।

समान नागरिक संहिता (युनिफोर्म सीवील कोड) क्या है?
कॉमन सिविल कोड एक धर्मनिरपेक्ष कानून है जो सभी धर्मों के लोगों पर समान रूप से लागू होता है। समान नागरिक संहिता लागू होने से सभी धर्मों के लिए एक समान कानून आएगा। वर्तमान में सभी धर्मों के लोग इन मामलों को अपने पर्सनल लॉ के तहत सुलझाते हैं। मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदायों के पास पर्सनल लॉ है जबकि हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध नागरिक कानून के तहत आते हैं। संविधान अनुच्छेद 44 के तहत समान नागरिक संहिता को लागू करने में राज्य की जिम्मेदारी बताता है।

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