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Sandhi Viched – संधि विच्छेद क्या है ? हिंदी व्याकरण में अहम अवधारणा

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तो दोस्तों आप सभी लोगो ने कभी न कभी संधि विछेद के बारे में तो सुना ही होगा। केवल सुना ही नहीं बल्कि लगभग सभी लोगो ने इसके बारे में बहुत अच्छे तरीके से पढ़ा भी होगा क्योंकि Sandhi Viched in Hindi के बारे में हम सभी को बचपन में विद्यालय में पढ़ाया गया है और अभी तक पढ़या जाता है।

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संधि विछेद व्याकरण का भाग है जो की सभी बच्चों के लिए मददगार साबित होता है। तो दोस्तों अगर आपको इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं है और आप इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है।

तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से Sandhi Viched से सम्बंधित बहुत सी जानकारी इस लेख में प्रदान करेंगे जैसे की – संधि विछेद क्या होता है ?, Sandhi Viched के कितने प्रकार होते हैं और सभी के उदाहरण देकर भी समझायेंगे, आदि जैसी जानकारी इस लेख में बताई गयी हैं।

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सम+ धि – दो ऐसे शब्द हैं जो संधि बनाते हैं। संधि का मतलब मिलना, हिंदी भाषा में संधि को पूरे शब्दों के साथ नहीं लिखा जाता है। लेकिन संस्कृत में संधि के बिना कोई काम भी नहीं होता है। इसका मुख्य कारण है कि संस्कृत व्याकरण की एक पुरानी परंपरा है। जिसके लिए व्याकरण को पढ़ना जरूरी है। शब्द रचना के समय संधियां काम आती है। आप इस ब्लॉग में sandhi viched के बारे में विस्तार से जानेंगे

हमारी भाषा हमारी पहचान होती है। शब्दों की सही व्यवस्था और संरचना हमारे भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाती है। संधि विच्छेद एक ऐसी विधि है जो हमारी भाषा में शब्दों को जोड़कर उन्हें और मधुर और प्रभावशाली बनाती है। यह शब्दों की एकता और समानता को बढ़ाती है, जिससे उनका प्रयोग करना आसान होता है। इस लेख में हम संधि विच्छेद के बारे में बात करेंगे और इसके महत्व, प्रकार, नियम और उपयोग के बारे में जानेंगे। अक्सर, ये लेख युक्तियों और विचारों की खोज करने वाले पाठकों के लिए उपयोगी होते हैं, सभी जानकारी के लिए इस पूरे लेख को देखें।

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संधि विच्छेद

संधि विच्छेद संस्कृत भाषा में व्याकरण का महत्वपूर्ण अंग है। इसमें दो या अधिक वर्णों के संयोग से नए वर्णों का उद्भव होता है। इसके माध्यम से शब्दों के व्याकरणिक अर्थों में परिवर्तन होता है। वाक्य विचार के लिए संधि विच्छेद महत्वपूर्ण है, जिससे भाषा का संपूर्ण अध्ययन संभव होता है।

संधि विच्छेद क्या है?

संधि विच्छेद दो शब्दों, वाक्यों या पदों के मेल का एक नियमित प्रक्रिया है। यह शब्दों को उनके व्याकरणिक गुणों के आधार पर आपस में मिलाता है और नए शब्दों का निर्माण करता है। यह भाषा को सरल, आसान और मधुर बनाने का एक मार्ग प्रदान करता है। संधि विच्छेद शब्द रचना को सुगम बनाने के साथ ही उनके अर्थ में भी विशेषता प्रदान करता है।

संधि विच्छेद की आवश्यकता

संधि विच्छेद भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाने के साथ-साथ वाक्यों और पदों के प्रयोग को सरल भी बनाता है। यह शब्द जोड़कर उनके अर्थ में सुधार करता है और उन्हें एकत्रित करके उच्चारण को सुगम बनाता है। संधि विच्छेद के बिना, भाषा बाध्यताओं से भरी हो सकती है और उच्चारण में कठिनाईयों का सामना कर सकती है। संधि विच्छेद की आवश्यकता भाषा के सही विकास के लिए महत्वपूर्ण

संधि के प्रकार

Sandhi Viched में संधि के तीन प्रकार होते हैं

स्वर संधि

व्यंजन संधि

विसर्ग संधि

स्वर संधि

जब स्वर के साथ स्वर का मेल होता है तब जो परिवर्तन होता है वह स्वर संधि कहलाता है। हिंदी  संख्या में 11 स्वर होती है, बाकी के अक्षर व्यंजन के होते हैं। जब दो स्वर मिलते हैं जब उसमें से जो तीसरा स्वर बनता है वह स्वर संधि कहलाता है।

उदाहरण: विद्या+आलय -विद्यालय

स्वर संधि के पांच प्रकार होते हैं

दीर्घ संधि

गुण संधि

वृद्धि संधि

गुण संधि

अयादि संधि

दीर्घ संधि

दीर्घ संधि में दो स्वर्ण या सजातीय स्वरों के बीच संधि होकर उनके दीर्घ रूप हो जाते है। अर्थात दो स्वर्ण स्वर मिलकर दीर्घ हो जाते हैं।

जब अ,आ के साथ अ,आ हो तो “आ”बनता है

जब इ,ई के साथ इ,ई हो तो “ई” बनता है

जब उ,ऊ के साथ उ,ऊ हो तो “ऊ”बनता है

उदाहरण

पुस्तक +आलय- पुस्तकालय

विद्या+अर्थी-विद्यार्थी

भानु+उदय-भानूदय

गुण संधि

यदि ‘अ’ या ‘आ’ के बाद इ/ई  आए तो ‘ए’ ; ऊ/ऊ आए तो ‘ओ’ और ‘ऋ’ आए तो ‘अर’ हो  जाता है |

जब अ,आ के साथ इ,ई हो तो “ए” बनता है

जब अ,आ के साथ उ,ऊ हो तो “ओ” बनता है

जब अ,आ के साथ ऋ हो तो” अर” बनता है

उदाहरण

नर+इंद्र-नरेंद्र

ज्ञान+उपदेश-ज्ञानोपदेश

देव+ऋषि-देवर्षि

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[संधि विच्छेद] Sandhi Viched in Hindi

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Sandhi Vichchhed

तो दोस्तों आप सभी लोगो ने कभी न कभी संधि विछेद के बारे में तो सुना ही होगा। केवल सुना ही नहीं बल्कि लगभग सभी लोगो ने इसके बारे में बहुत अच्छे तरीके से पढ़ा भी होगा क्योंकि Sandhi Viched in Hindi के बारे में हम सभी को बचपन में विद्यालय में पढ़ाया गया है और अभी तक पढ़या जाता है।

संधि विछेद व्याकरण का भाग है जो की सभी बच्चों के लिए मददगार साबित होता है। तो दोस्तों अगर आपको इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं है और आप इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है।

तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से Sandhi Viched से सम्बंधित बहुत सी जानकारी इस लेख में प्रदान करेंगे जैसे की – संधि विछेद क्या होता है ?, Sandhi Viched के कितने प्रकार होते हैं और सभी के उदाहरण देकर भी समझायेंगे, आदि जैसी जानकारी इस लेख में बताई गयी हैं।

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तो अगर आप भी इसके बारे में जानकाररी प्राप्त करना चाहते हैं तो कृपया इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़िए और इसे सम्बंधित सभी जानकारी को प्राप्त करें।

ऐसी बहुत सी चीजें हमें विद्यालय में सिखाई जाती है। इसी प्रकार से एक अन्य चीज है जिसको अलंकार कहते है। लेकिन क्या आप यह जानते है की अलंकार किसे कहते है। अगर नहीं तो यहाँ जानिए

संधि विच्छेद क्या है

जब दो या दो से अधिक वर्णों मिलकर एक शब्द बनते हैं उसको संधि कहते हैं। और तो और जब एक शब्द को दो या दो से सधिक शब्दों में बाँट दिया जाता है उसी को संधि विच्छेद कहते हैं। जैसे की – परिणाम – परि + नाम , देवेश – देव + ईश ,गणेश – गण+ईश आदि।

या फिर

दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने शब्द को दोबारा दो या दो से अधिक शब्द में तोड़ने को ही संधि विच्छेद कहते हैं। उदहारण – हिमालय – हिम + आलय ,देवानन्द – देव +आनन्द।

Sandhi Viched in Hindi के कुछ उदाहरण

संधि के कितने प्रकार होते हैं | Types of Sandhi Viched in Hindi

संधि के तीन प्रकार होते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं।

स्वर संधि

व्यंजन संधि

विसर्ग संधि

स्वर संधि

जब दो या दो से अधिक स्वर मिलकर एक और नए शब्द का निर्माण करते है उसी को स्वर संधि कहते हैं। वैसे तो हिंदी में स्वर 11 होते हैं। और जो इन 11 से अलग होते हैं वह व्यंजन कहलाते हैं। जैसे की – रवि +इंद्र = रविंद्र , विद्या +आलय = विद्यालय।

स्वर संधि के पांच प्रकार होते हैं।

teacher and student

दीर्घ स्वर संधि

गुण स्वर संधि

वृद्धि संधि

यण संधि

अयादि संधि

1. दीर्घ स्वर संधि

दीर्घ स्वर संधि – इसमें दो स्वर्ण सजातीय स्वरों के बीच संधि होजाता है तो इनके दीर्घ रूप हो जाते है। और दो स्वर्ण स्वर मिलकर एक दीर्घ हो जाते हैं।

जब अ,आ, के साथ अ,आ,हो तो आ बन जाता है।

जब इ,ई के साथ इ,ई हो तो ई बंद जाता है।

जब उ,ऊ के साथ उ,ऊ, हो तो ऊ बन जाता है।

उदहारण – पुस्तक+आलय = पुस्तकालय। , गिरी +ईश = गिरीश, रवि+इंद्र=रविंद्र आदि।

2. गुण स्वर संधि

गुण संधि में जब अ या फिर आ के जगह पर इ या फिर ई हो तो वह ए हो जाता है। और अ या फिर आ के साथ उ,या फिर ऊ हो तो वह ओ बन जाता है।

उदहारण –

देव+इंद्र = देवेंद्र

नर +ईश = नरेश

भारत + इंदु = भारतेन्दु

गज +इंद्र = गजेंद्र आदि

3. वृद्धि संधि

वृद्धि संधि में यदि अ या फिर आ के बाद ए/ऐ आइये तो फिर वह ऐ हो जाता है। और ओ/औ आये तो फिर वह औ बन जाता है।

अ/आ + ए/ऐ = ऐ जैसे की – एक +एक = एकैक

अ/आ +ओ/औ = औ जैसे की – जल +ओघ = जलौघ

उदहारण – महा+ओज = महौज, मत +एकता = मतैकता, एक+एक = एकैक , सदा +एव = सदैव आदि

4.यण संधि

यण संधि में जब इ,ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो वह य बन जाता है। और जब उ,ऊ के साथ अगर कोई अन्य स्वर हो तो व् बन जाता है। और जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो र बन जाता है। यण संधि के के तीन प्रकार के संधि युक्त पद होते हैं।

जो की है य से पहले आधा व्यंजन होना चाहिए। , व् से पहले आधा व्यंजन होना चाहिए , शब्द में त्र होना चाहिए।

यण स्वर संधि में एक चीज होना अनिवार्य है की य और त्र में स्वर होना चाहिए और उसी से बने हुए सार्थक शब्द के बाद + के बाद लिखे उसी को यण संधि कहते हैं।

उदहारण – मात्रानन्द – मातृ+आनन्द , सु +आगत = स्वागत , इति+आदि = इत्यादि।

5.अयादि संधि

अयादि संधि में जब ए,ऐ,ओ,औ के साथ अगर कोई अन्य स्वर हो तो ए-अय में ,ऐ – आय ‘ में , ‘ ओ – अव ‘ में, ‘ औ – आव ‘ ण जाता है। य , व् से पहले व्यंजन पर अ , आ की मात्रा हो तो अयादि संधि हो सकती है लेकिन अगर और कोई विच्छेद न निकलता हो तो + के बाद वाले भाग को वैसा का वैसा लिखना होगा। उसे अयादि संधि कहते हैं।

उदाहरण – पो+इत्र =पवित्र ,भो+अन = भवन, पो+अन = पवन , नै+ इका=नायिका

व्यंजन संधि

व्यंजन संधि – व्यंजन वर्ण के साथ स्वर वर्ण या व्यंजन वर्ण और स्वर्ण वर्ण के साथ व्यंजन वर्ण के मेल से जो विकार उत्पन्न हो उसी को व्यंजन संधि कहा जाता है।

उदहारण – अभी +सेक = अभिषेक

1. जब किसी वर्ग के पहले वर्ण क,च,ट,तो,पर का मिलन किसी वर्ग के तीसरे या चौथे से य ,र, ल ,व ,ह से हो या किसी स्वर के साथ हो जाए तो क को ग, च को ज, ट को ड , त को द , प को ब  में बदल दिया जाता है।

उदहारण –

दिक + अंबर- दिगंबर

वाक+ ईश- वागीश

2. यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण का मिलन न या म वर्ण के साथ हो तो वह नीचे गए उदाहरण में बदल जाता है।

3. जब त का मिलन ग,घ, द ,ध, प, म, य ,र , या किसी स्वर से हो तो द बन जाता है।और अगर म के साथ क से म तक कि किसी भी  वर्ण के मिलन पर म  की जगह पर मिलन वाले वर्ण बन  जाता है।

4. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए

त् से परे च् या छ् होने पर च,

ज् या झ् होने पर ज्,

ट् या ठ् होने पर ट्,

ड् या ढ् होने पर ड्

ल होने पर ल्

म् के साथ य, र, ल, व, श, ष, स, ह में से किसी भी वर्ण का मिलन होने पर ‘म्’ की जगह पर अनुस्वार ही लगता है।

5. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए

जब त् का मिलन अगर श् से हो तो त् को च् और श् को  छ् में बदल जाता है।

जब त् या द् के साथ च या छ का मिलन होता है तो त् या द् की जगह पर च् बन जाता है।

6.  नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए

जब त् का मिलन ह् से हो तो त् को  द् और ह् को ध् में बदल  जाता है।

त् या द् के साथ ज या झ का मिलन होता है तब त् या द् की जगह पर ज् बन जाता है।

7. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए

स्वर के बाद अगर  छ् वर्ण आ जाए तो छ् से पहले च् वर्ण बदल  जाता है।

त् या द् के साथ ट या ठ का मिलन होने पर त् या द् की पर  ट् बन जाता है।

जब  त् या द् के साथ ‘ड’ या ढ की मिलन होने पर  त् या द् की पर‘ड्’बन जाता है।

8. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए

अगर म् के बाद क् से लेकर म् तक कोई व्यंजन हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है।

त् या द् के साथ जब ल का मिलन होता है तब त् या द् की जगह पर ‘ल्’ बन जाता है।

9. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए

म् के बाद म का द्वित्व हो जाता है।

त् या द् के साथ ‘ह’ के मिलन पर  त् या द् की जगह पर द्

ह की जगह पर ध बन जाता है।

10. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए

म् के बाद य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह् में से कोई व्यंजन आने पर म् का अनुस्वार हो जाता है।

‘त् या द्’ के साथ ‘श’ के मिलन पर त् या द् की जगह  पर ‘च्’ तथा ‘श’ की जगह पर ‘छ’ बन जाता है।

11. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए

ऋ, र्, ष् से परे न् का ण् हो जाता है।

चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, श और स का व्यवधान हो जाने पर न् का ण् नहीं होता।

किसी भी स्वर के साथ ‘छ’ के मिलन पर स्वर तथा ‘छ’  के बीच ‘च्’ आ जाता है।

12. नीचे दिए गए वर्ण पर ध्यान दीजिए

स् से पहले अ, आ से भिन्न कोई स्वर आ जाए तो स् को ष बना दिया  जाता है।

संधि विच्छेद की आवश्यकता

student read book

संधि विच्छेद भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाने के साथ-साथ वाक्यों और पदों के प्रयोग को सरल भी बनाता है। यह शब्द जोड़कर उनके अर्थ में सुधार करता है और उन्हें एकत्रित करके उच्चारण को सुगम बनाता है। संधि विच्छेद के बिना, भाषा बाध्यताओं से भरी हो सकती है और उच्चारण में कठिनाईयों का सामना कर सकती है। संधि विच्छेद की आवश्यकता भाषा के सही विकास के लिए महत्वपूर्ण है

संधि विच्छेद के लाभ | Benefits of Sandhi Vichhed

संधि विच्छेद का प्रयोग करने से भाषा को कठिनाइयों से मुक्त करके उच्चारण को सुगम बनाया जा सकता है। इससे भाषा की सुंदरता बढ़ती है और शब्दों का उच्चारण सही होता है। संधि विच्छेद के प्रयोग से शब्दों का मेल होने के कारण वाक्य की रचना स्पष्ट होती है और उसका अर्थ स्पष्ट होता है।

संधि विच्छेद के नियम

संधि विच्छेद के कुछ महत्वपूर्ण नियम होते हैं जिन्हें ध्यान में रखना आवश्यक है। यहां कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं:

द्वंद्व संधि: जब दो शब्द एक साथ आते हैं और संधि विच्छेद का नियम लागू होता है, तब उनमें से पहले शब्द का आदिकाल अपनाना चाहिए। उदाहरण के लिए, “सुबह + शाम” शब्द में “सुबह और शाम” लिखा जाना चाहिए।

उपसर्ग संधि: जब उपसर्ग के बाद शब्द आते हैं और संधि विच्छेद का नियम लागू होता है, तब उपसर्ग को पूर्णता सहित रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, “अन + देखना” शब्द में “अनदेखना” लिखा जाना चाहिए।

गुण संधि: जब दो वर्ण आपस में मिलकर एक ही वर्ण बना देते हैं, तब उन्हें एकदिवस्य द्विगु रूप में लिखना चाहिए। उदाहरण के लिए, “लाल + आकार” शब्द में “लालाकार” लिखा जाना चाहिए।

आशा करते हैं कि आपको इस ब्लॉग से Sandhi Viched के बारे में जानकारी प्राप्त हुई होगी। char akshar wale shabd, badi ee ki matra wale shabd जैसे ही अन्य महत्वपूर्ण और रोचक ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारे साथ बने रहिए।

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