HomeEntertainmentतब्बू, कृति, करीना ने कराई 'क्रू' की धमाकेदार लैंडिंग

तब्बू, कृति, करीना ने कराई ‘क्रू’ की धमाकेदार लैंडिंग

तब्बू, कृति सेनन, करीना कपूर अभिनीत ‘क्रू’ सिनेमाघरों में धूम मचाने के लिए रिलीज हो गई है। यह एक कॉमेडी फिल्म है। एकता कपूर और रिया कपूर की फिल्म कैसी है, इसमें क्या खास है और क्या कमी रह गई है ये जानने के लिए पढ़ें पूरा रिव्यू।

तब्बू, कृति और करीना कपूर, एक और महिला केंद्रित फिल्म ‘क्रू’ लेकर आई हैं, जो आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई। फिल्म विजय माल्या और किंगफिशर एयरलाइंस की पृष्ठभूमि पर आधारित है। सास्वता चटर्जी (विजय वालिया) कोहिनूर एयरलाइंस के मालिक की भूमिका निभाते हैं, जहां गीता सेठी (तब्बू), जैस्मीन (करीना कपूर खान) और दिव्या (कृति सनोन) केबिन क्रू के रूप में काम करती हैं। 2 घंटे 4 मिनट की इस फिल्म में कॉमेडी, सस्पेंस और बहुत सारा ग्लैमर है। ‘वीरे दी वेडिंग’ के निर्माताओं द्वारा बनाई गई फिल्म में हद से ज्यादा नारीवाद नहीं दिखाया गया है। शुक्र है कि महिला सशक्तिकरण के नाम पर यह फिल्म पहले आ चुकी कई फिल्मों जैसी नहीं है। ऐसा शायद इसलिए भी है क्योंकि रिया कपूर ने फिल्म का निर्देशन नहीं किया, वो सिर्फ निर्माता रहीं। क्रू एक मनोरंजक फिल्म है। कृति भले ही तब्बू और करीना कपूर पर थोड़ी भारी पड़ी हों, लेकिन जब आप कमाल के टैलेंट के साथ स्क्रीन शेयर करते हैं तो कोई बड़ी शिकायत नहीं रह जाती।

कहानी

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करीना, कृति और तब्बू स्टारर क्रू दो टाइमलाइन में चलती है। एक जहां तीनों से पूछताछ हो रही है और दूसरा जहां आपको उनकी कहानी के साथ-साथ उनकी दोस्ती की गहराई के बारे में भी पता चलता है। तब्बू इस केबिन क्रू में सबसे वरिष्ठ सदस्य की भूमिका निभाती हैं, दूसरे नंबर पर करीना और फिर कृति हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि एक एयरलाइन दिवालिया हो जाती है और उसके कर्मचारियों को परेशानी झेलने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यहां पर तीनों अन्य लोगों के बीच एक समान दुख साझा करती हैं (कम पैसों वाली नौकरी और वित्तीय समस्याएं)। इन्हीं परेशानियों के बीच कहानी आगे बढ़ती है जहां कृति, तब्बू और करीना एक डकैती को अंजाम देने का प्रयास करती हैं। फिल्म में तब दिलचस्प मोड़ आता है जब तीनों कलाकारों को अपने दुख के बीच ढेर सारा सोना मिलता है। इसके साथ दिलजीत दोसांझ का एक छोटा लेकिन प्यारा कैमियो दिखाया गया है, जो कृति सेनन के प्रेमी की भूमिका में हैं।

कंपनी वास्तव में दिवालिया हो गई है, वादे झूठे हैं और उसका पीएफ निर्विवाद है, इस बात का जैसे ही अहसास होता है, तब्बू उर्फ गीता अन्य दो को जोखिम उठाने के लिए प्रेरित करती हैं। मौज-मस्ती और विलासिता के कुछ पल बिताने के बाद, उनका अच्छा दौर खत्म हो जाता है और तीनों पूछताछ के लिए पहुंच जाते हैं। आपस की लड़ाई, भीतर की लड़ाई और सिस्टम से लड़ाई ये महिलाएं तय करती हैं। कॉमेडी-ड्रामा की शैली के तहत सब कुछ रखते हुए, निर्माता किसी तरह सही डोर खींचने में सक्षम हैं।

निर्देशन

क्रू का निर्देशन राजेश ए कृष्णन द्वारा किया गया है, जिन्हें लॉकडाउन ओटीटी रिलीज, ‘लूटकेस’ के लिए जाना जाता है। कृष्णन ने कुणाल खेमू अभिनीत फिल्म से मौके का पूरा फायदा उठाया था, हालांकि ‘क्रू’ उसकी तुलमा में थोड़ा पीछे रह गई है। इस फिल्म को अतार्किक न लगने देने के लिहाज से कृष्णन ने इसमें कई खामियां उजागर कर दी हैं। फिल्म निर्माता की एक और सबसे बड़ी गलती दिलजीत और कपिल शर्मा को कॉमेडी फिल्म में कास्ट करना है और फिर भी उनकी कमाल की कॉमिक टाइमिंग का सही उपयोग नहीं करना है। दोनों गंभीर भूमिका में दिखे हैं और उन्हें ‘ग्रीन फ्लैग’ वाले लड़कों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। परिस्थितियों को देखते हुए निर्देशक और लेखक आसानी से पंचलाइन पेश कर सकते थे। वैसे निर्देशक ने फिल्म को कई मायनों में तार्किक भी रखा है। मेकर्स ने ग्लैमर का भी भरपूर मिश्रण किया है।

अभिनय

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इस फिल्म में करीना कपूर, कृति सेनन, तब्बू मुख्य भूमिका में हैं। वहीं सहायक भूमिकाओं में दिलजीत दोसांझ, कपिल शर्मा से अच्छे अभिनय की उम्मीद ही की जा सकती थी। ‘क्रू’ में करीना कपूर सबसे अच्छी लग रही हैं। वह महत्वाकांक्षी, तेज-तर्रार, ग्लैमरस, मजाकिया और क्षमाप्रार्थी हैं। वैसे इस फिल्म में करीना काफी हद तक बेबो लग रही हैं। वहीं, फिल्म में तब्बू की बेहतरीन लाइनें हैं। वह केबिन ‘क्रू’ में सबसे वरिष्ठ हैं और उन्होंने इसे अपने हाव-भाव, अभिनय और यहां तक चाल-ढाल में भी दर्शाया है। अंत में कृति सेनन बाकी दोनों पर थोड़ी भारी पड़ती दिख रही हैं। फिल्म देखकर ऐसा भी लगता है कि दिलजीत और कृति की प्रेम कहानी को और अधिक फुटेज दिया जा सकता था, क्योंकि उनकी केमिस्ट्री बहुत अच्छी है। कपिल और दिलजीत मौजूदा परिस्थितियों में अच्छे हैं, लेकिन आखिरकार वे सिर्फ लीड्स का समर्थन कर रहे हैं।

सहायक कलाकारों में मित्तल के रूप में राजेश शर्मा, नानू के रूप में कुलभूषण खरबंदा और विजय वालिया के रूप में सास्वता चटर्जी शामिल हैं। अभिनेताओं ने वास्तव में अपनी छोटी स्क्रीन टाइमिंग का पूरा उपयोग किया है लेकिन मित्तल यानी राजेश शर्मा इन सबमें सबसे बेहत प्रदर्शन के साथ सबसे आगे निकल गए हैं और वो क्लियर कट विजेता बनकर उबरे हैं। फिल्म में कोमल का किरदार निभाने वाली पूजा भामराह भी अच्छी हैं। वह सही वक्त पर अपनी बातें रखती नजर आ रही हैं।

म्यूजिक

‘क्रू’ में कई अच्छे म्यूजिक कंपोजिशन हैं और कुछ असफल। ‘घाघरा’ और ‘चोली’ को फिल्म में बखूबी रखा गया है। ये गाने भी कहानी को जोड़ते हैं और आपको बोरियत महसूस नहीं होने देंगे। हालांकि, इंट्रो और सैड सॉन्ग उतने कमाल के नहीं हैं। हालांकि राज रंजोध इनसे बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे। दिलजीत द्वारा गाया गया ‘नैना’ अंतिम क्रेडिट के साथ आता है और इस फिल्म की कहानी में कुछ भी ऐड ऑन नहीं कर रहा है।

…और आखिरी में

पूर्वानुमानित होने और उतना हास्यास्पद न होने के बावजूद ‘क्रू’ एक अच्छी फिल्म है या कह लें कि इसका दिल सही जगह पर है। आप ऐसी परिस्थिति में काम करने वाले लोगों के भाव महसूस कर सकेंगे और अंत तक फिल्म आपको न्याय की एक विडंबनापूर्ण भावना भी देगी। तीन अच्छे कलाकारों के अभिनय प्रदर्शन में कोई कमी नहीं है। कुल मिलाकर फिल्म बड़े पर्दे पर देखने योग्य है और स्पष्ट रूप से 3 स्टार्स की हकदार है।

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