“आरती कुंजबिहारी की” हिन्दू धार्मिक गीतों में से एक है जो भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन करती है। यह गीत आमतौर पर पूजा-आरती के समय प्रदर्शित की जाती है और लोग इसे भक्ति भावना के साथ गाते हैं। यह गीत मुक्तक में गाया जाता है, जिसमें कृष्ण जी की भक्ति की जाती है।
aarti kunj bihari ki in hindi
आपके अनुरोध के आधार पर, मैं आपको इस गीत के प्रारंभिक शब्द प्रस्तुत कर रहा हूँ:
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रीदामोदरे रखवारी, अकुलेश भरतद्वाज।
आरती कुंजबिहारी की…
अपने मोती दिवाकर समीरा, तन मन धन सब है तेरा।
कैसे करूँ विनती तेरी, मैं तो तेरा ही तेरा।
आरती कुंजबिहारी की…
यमुना तीरे तेरी गति, वृषभानु सुत धनुष बान हे तेरी।
कैसे नयन चुराऊं तेरी, यह जानू न मैं कहीं।
आरती कुंजबिहारी की…
कोटिंदुक सहस्त्र चाँदन, अति शोभित मोर मुकुट विराजै।
तीनों लोक में रंगी चौंकी, राधा-माधव की राजधानी।
आरती कुंजबिहारी की…
कंजक अस्त्र कवच बिराजे, बजरँगी माला कन्थ मनोहारी।
यह तो सुन्दर मुख मोरारी, रमत जीवन मन मोहन मोहन।
आरती कुंजबिहारी की…
कहत अयोध्या दास तुम्हारी, बड़ा दुःख भंजन तुम्हारी।
राम दुआरे तुम रखवारी, होत न आज यह सारी।
आरती कुंजबिहारी की…
कृपा कीजे रघुपति दीना, जानत करबी कलेश बिना।
पावन तनय संकट हरण, मंगल मूल सुखदायक बिना।
आरती कुंजबिहारी की…
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
यह गीत भगवान कृष्ण की महिमा और प्रेम का वर्णन करता है और उनके अनुयायियों के द्वारा भक्ति और पूजा के रूप में प्रयोग किया जाता है। aarti kunj bihari ki बहुत ही मशहूर हे और साथ ही इसका महत्यत्हव भी बहूत हे | गीत संगीत और भक्ति की दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। अगर आप सच्चे दिल से श्री कृष्ण भगवानजी की मनोकामना करते हे और भजन कीर्तन करते हे फिर हमारी सारी मुसीबते आसान हो जाती हे और भगवन श्री कृष्ण का आशीर्वाद हमेशा रहेता हे |