HomeNewsNationalभगवद् गीता के प्रेरणादायक उद्धरण: भारतीय संस्कृति के अनमोल ज्ञान

भगवद् गीता के प्रेरणादायक उद्धरण: भारतीय संस्कृति के अनमोल ज्ञान

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नमस्कार दोस्तो, हमेशा की तरह आज फिर से हाजिर है एक नए पोस्ट के साथ जिसका टाइटल Bhagavad Gita Quotes in Hindi हैं। हम उम्मीद करते हैं की ये पोस्ट आपको पसंद आयेगा और आप इसे अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करेंगे।

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आत्मा न तो जन्म लेती है,
और न ही मरती है आत्मा अमर है।

जो मुझे सर्वत्र देखता है और सब कुछ मुझमें
देखता है,

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उसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँ और न वह मेरे लिए अदृश्य होता है।

एक अनुशासित व्यक्ति अपना तथा समाज व देश का
विकास कर सकता है।

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शिक्षा और ज्ञान उसी को मिलता है जिसमें जिज्ञासा होती है।

मनुष्य को जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए
और न ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों का प्रयोग करना चाहिए।

आत्म-ज्ञान की तलवार से अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को काटकर अलग कर दो उठो अनुशाषित रहो।

जो पैदा हुआ है उसकी मृत्यु भी निश्चित है,
जैसे जो मृत है उनके लिए जन्म इसलिए जिसे बदल नहीं सकते उसके लिए शोक मत करो।

अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे,
इसलिए लोग क्या कहते हैं इस पर ध्यान मत दो तुम अपना कर्म करते रहो।

सत्य कभी दावा नहीं करता कि मैं सत्य हूं,.
लेकिन झूठ हमेशा दावा करता हैं कि सिर्फ मैं ही सत्य हूं।

गलतियां ढूंढना गलत नही है बस शुरुआत खुद से होनी चाहिए।

अच्छी नीयत से किया गया काम कभी व्यर्थ नहीं जाता, और उसका फल आपको ज़रूर मिलता है।

जिससे किसी को कष्ट नहीं पहुँचता तथा जो अन्य किसी के द्वारा विचलित नहीं होता,
जो सुख-दुख में भय तथा चिन्ता में समभाव रहता है, वह मुझे अत्यन्त प्रिय है।

क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है यानी मूढ़ हो जाती है जिससे स्मृति भ्रमित हो जाती है।
स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है
और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद का अपना ही नाश कर बैठता है।

जो मनुष्य सुख और दुख में विचलित नहीं होता है,
दोनों में समभाव रखता है वह मनुष्य निश्चित रूप से मुक्ति के योग्य हैं।

आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं,
न आग उसे जला सकती है,
न पानी उसे भिगो सकता है,
न हवा उसे सुखा सकती है।

ध्यान का अर्थ है भीतर से मुस्कुराना
और सेवा का अर्थ है इस मुस्कुराहट को औरों तक पँहुचाना।

हृदय से जो दिया जा सकता है वो हाथ से नहीं
और मौन से जो कहा जा सकता है वो शब्द से नहीं।

समय और भाग्य दोनों परिवर्तनशील है
इनपर कभी अहंकार नही करना चाहिए।

सुकून संसार की सबसे महँगी वस्तू है,
जो केवल आपको प्रभु की भक्ति से ही मिलेगी ।

मनुष्य की मानवता उसी समय नस्ट हो जाती है,
जब उसे दूसरों के दुख में हसीं आने लगती।

अगर भगवान तुम्हें ज्यादा इंतज़ार करवा रहा है तो तैयार रहना,
वो उससे कही ज्यादा देने वाले हैं जितना तुमने मांगा था।

मन को प्रभु के साथ जोड़ दो जहाँ प्रभु जाएं,
वहाँ मन जाए और जहाँ मन जाए वहाँ प्रभु साथ रहें ।

मुश्किलें केवल बेहतरीन लोगों के हिस्से में आती है,
क्योंकि वही लोग उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं।

अगर परमात्मा तुम्हें कष्ट के पास ले आया है,
तो अवश्य ही वो तुम्हें कष्ट के पार भी ले जाएगा।

जो भी हुआ अच्छा हुआ जो हो रहा है अच्छा हो रहा है,
जो भी होगा अच्छा होगा, भविष्य के बारे में चिंता मत करो। वर्तमान में जियो ।

निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को न छोड़े क्योंकि,
लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालों की राय बदल जाती है।

जो सरलता से मिलता रहे उसका महत्व नही रह जाता,
अक्सर खो देने के बाद समय, व्यक्ति और संबंध के मूल्य का आभास होता है।

चिंता मत करो क्योंकि जिसने तुम्हें इस संसार में भेजा है उसे तुम्हारी ज्यादा चिंता है।

किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है,
कि अपना काम करें भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े।

उस दिन हमारी सारी परेशानियाँ ख़त्म हो जायेगी,
जिस दिन हमें यकीन हो जाएगा की हमारा सारा काम ईश्वर की मर्जी से होता है।

ज्यादा खुश होने पर और ज्यादा दुखी होने पर निर्णय नहीं लेना चाहिए,
क्योंकि यह दोनों परिस्थितियां आपको सही निर्णय नहीं लेने देती हैं।

कुछ लोग अपने अधिकार के लिए तो संघर्ष करते है,
परंतु अपने कर्तव्य को भुल जाते है।

दुख का मूल कारण ही यही है, कि सुख की तलाश में बाहरी दुनिया में भटकते रहना।

ईश्वर की शरण में निःस्वार्थ भाव से जाएं,
क्योंकि आपको क्या चाहिए, उन्हें पता है।

जो सरलता से मिलता रहे उसका महत्व नही रह जाता,
अक्सर खो देने के बाद समय, व्यक्ति और संबंध के मूल्य का आभास होता है।

बिना मुहूर्त के जन्म लेता है और बिना मुहूर्त के ही दुनिया से चला जाता है,
फिर भी इंसान अच्छे मुहूर्त के पीछे भागता रहता है,
अगर विचार हमारे अच्छे हो और
व्यवहार हमारे सच्चे हो तो कोई भी कार्य बुरा नहीं हो सकता।

अगर आप क्रोध के समय थोड़ा सा धैर्य रख ले तो,
आप कम से कम सौ दुःख भरे दिनों से बच सकते है।

जीवन में सब कुछ खत्म होने जैसा कुछ भी नहीं होता,
हमेशा एक नई शुरुआत हमारा इंतजार कर रही होती है।

यदि तुम्हारे अंदर खुद को बदलने की ताकत नही है,
तो तुम्हारा कोई अधिकार नही की तुम भगवान या भाग्य को दोष दो।

समय जब पलटता है तो सबकुछ पलट देता है इसलिए,
अच्छे समय में घमंड ना रखे और बुरे वक़्त में सब्र रखना ना छोड़े।

सम्मान हमेशा समय और स्थिति का होता है,
पर इंसान उसे अपना समझ लेता है।

किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है,
कि अपना काम करें भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े।

जिस इंसान के सच्चे होने की गवाही आपका दिल दे,
वो इंसान कभी भी आपके लिए गलत नहीं हो सकता।

अगर साफ नियत से मांगा जाए तो ईश्वर नसीब से बढक़र देता है।

दान करना और भूल जाना दान की सर्वोच्च प्रक्रिया है,
कि गई दान की गणना तुम्हारे दान को तुच्छ बना देता है।

अगर परमात्मा तुम्हें कष्ट के पास ले आया है,
तो अवश्य ही वो तुम्हें कष्ट के पार भी ले जाएगा ।

परिवार के साथ धैर्य प्यार कहलाता है,
औरों के साथ धैर्य सम्मान कहलाता है,
स्वयं के साथ धैर्य आत्मविश्वास कहलाता है,
और भगवान के साथ धैर्य आस्था कहलाती है।

जो लोग तुम्हारी बुराई करते हैं वो करेंगे
चाहे तुम अच्छा काम करो या बुरा।
इस लिए शांत रहकर अपना कर्म करते रहे।

निंदा से मत घबराओ निंदा उसी की होती है,
जो जिंदा है मरने के बाद तो सिर्फ़ तारीफ होती है।

बुरा समय आपको जिंदगी के उन सभी सच से सामना करवाता है,
जिनका आपको अच्छे समय में कभी ख्याल नहीं होता।

कर्म का धर्म से अधिक महत्व है
क्योंकि धर्म करके भगवान से माँगना पड़ता है
पर कर्म करने पर भगवान स्वयं फल देता है।

हम जिस मनुष्य पर अति विश्वास करते हैं,
वही हमारे विरुद्ध षड्यंत्र करते हैं ।

प्रेम और विश्वास पाने के लिए अवसर मांगे नहीं जाते,
अवसर ढूंढ कर उस प्रेम और विश्वास को जीता जाता है।

स्वार्थ से रिश्ते बनाने की कितनी भी कोशिश करें,
वो कभी नही बनते हैं और प्रेम से बने रिश्तों को कितना भी तोड़ने की कोशिश करें वो कभी नही टूटते।

बुरे वक़्त में तो हर कोई भगवान को याद करता है,
पर दुनिया में बहुत ही कम लोग हैं जो अपने
अच्छे वक़्त में भी भगवान को याद करते है।

संघर्ष करते हुए कभी मत घबराना,
क्योंकि संघर्ष के दौरान ही इंसान अकेला होता है
सफलता के बाद तो सारी दुनिया साथ देती है।

प्रेम का कोई रूप नही होता,
जब कोई एहसास खुद से ज्यादा अच्छा लगे तो वो प्रेम है।

सच्चा स्नेह करने वाला केवल आपको बुरा बोल सकता है,
कभी आपका बुरा नहीं कर सकता क्योंकि
उसकी नाराजगी में आपकी फिकर और
दिल में आपके प्रति सच्चा स्नेह होता है।

परेशानी आए तो ईमानदार रहें धन आ जाए तो सरल रहें,
अधिकार मिलने पैर नम्र रहें और कोध आने पर शांत रहें यही जीवन का प्रबंधन कहलाता है।

यहां सभी के जीवन में मुसीबतें जरूर है,
लेकिन जो मुसीबतों से लड़कर आगे बढ़े,
वहीं आज की महाभारत का अर्जुन है।

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