HomeEntertainmentKGF मूवी: कोलार गोल्ड फील्ड्स की सच्ची कहानी और फिल्म की शूटिंग...

KGF मूवी: कोलार गोल्ड फील्ड्स की सच्ची कहानी और फिल्म की शूटिंग की रोचक बातें

परिचय

केजीएफ फिल्म ने अपने पहले पार्ट से ही दर्शकों को अपना दीवाना बना लिया था। हाल ही में इसका सीक्वल केजीएफ चैप्टर 2 (KGF-2) रिलीज हुआ, जिसने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया। अब तक करीब 200 करोड़ रुपये कमा चुकी इस फिल्म का पूरा नाम है कोलार गोल्ड फील्ड्स (Kolar Gold Fields)। सुपरस्टार यश की यह फिल्म कर्नाटक के कोलार में मौजूद सोने की खदानों पर आधारित है। इस लेख में हम जानेंगे कि कोलार गोल्ड फील्ड्स की असली कहानी क्या है, यहां से सोना निकालने की शुरुआत कैसे हुई और आज इसके हालात क्या हैं।

कोलार गोल्ड फील्ड्स की शुरुआत

कोलार गोल्ड फील्ड्स की कहानी 1800 के दशक से शुरू होती है। कहा जाता है कि इस खदान के बारे में कई कहानियां प्रचलित थीं, जिन्हें सुनकर ब्रिटिश सरकार के लेफ्टिनेंट जॉन वॉरेन यहां पहुंचे। जॉन ने गांव वालों को एक चुनौती दी कि जो भी खदान से सोना निकालकर दिखाएगा उसे इनाम मिलेगा। गांववाले बैलगाड़ी में खदान की मिट्टी भरकर जॉन के पास पहुंचे और जब जॉन ने मिट्टी को जांचा तो उसमें सोने के अंश मिले। इसके बाद 1804 से 1860 के बीच सोना निकालने की कई कोशिशें हुईं लेकिन सफलता नहीं मिली।

खदान का विकास

1871 में इस खदान पर फिर से रिसर्च शुरू हुई। रिटायर्ड ब्रिटिश सैनिक माइकल फिट्जगेराल्ड लेवेली ने 1804 में एशियाटिक जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट पढ़ी जिसमें कोलार की सोने की खदान का जिक्र था। लेवेली ने खदान के 100 किलोमीटर के दायरे में सफर किया और उन जगहों को चिन्हित किया, जहां सोना मिल सकता था। उनकी कोशिशें रंग लाई और 1873 में मैसूर के महाराज से खनन करने के लिए लाइसेंस जारी करने की अनुमति मिली। इसके बाद खनन का काम ब्रिटिश कंपनी जॉन टेलर एंड संस को सौंपा गया और कोलार गोल्ड फील्ड्स से सोना निकालने का काम शुरू हो गया।

खदान का स्वर्ण युग

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस दौर में भारत में जितना भी सोना निकलता था उसका 95 फीसदी इसी केजीएफ से आता था। 1930 के दशक में कोलार गोल्ड फील्ड्स में सोने का भंडार घटने लगा। भारत की आजादी तक इस पर अंग्रेजों का ही नियंत्रण रहा। आजादी के बाद 1956 में यह खदान केंद्र के नियंत्रण में आ गई।

KGF movies2

आज केजीएफ के हालात

वर्तमान में यह खदान खंडहर में तब्दील हो चुकी है। सोना निकालने के लिए जो सुरंगें खोदी गई थीं, वहां अब पानी भरा है। विशेषज्ञों का कहना है कि केजीएफ में अभी भी सोना है, लेकिन खदान के वर्तमान हालात को देखते हुए उसे निकालने में जितनी लागत आएगी, उससे ज्यादा सोना मिलना मुश्किल है।

केजीएफ के बारे में रोचक बातें

  1. दुनिया की दूसरी सबसे गहरी खदान: कोलार गोल्ड फील्ड्स की गिनती दुनिया की दूसरी सबसे गहरी खदान में की जाती है।
  2. स्वर्ण एक्सप्रेस: KGF से बैंगलोर के लिए यात्री रेल “स्वर्ण एक्सप्रेस” दुनिया की सबसे लंबी यात्री रेल है।
  3. स्वास्थ्य पर प्रभाव: फेफड़ों की बीमारी खनन से उत्पन्न धूल के कारण होने वाले सिलिकोसिस की खोज सबसे पहले केजीएफ में हुई थी।
  4. प्रमुख मंदिर: कोटलिंगेश्वर सबसे प्रसिद्ध भगवान शिव मंदिर है जो केजीएफ के पास है।
  5. राष्ट्रीय खनिक स्वास्थ्य संस्थान: इसका मुख्यालय कोलार गोल्ड फील्ड क्षेत्र में है।
  6. जलविद्युत संयंत्र: केजीएफ क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति के लिए शिवनसमुद्र में पहला भारतीय जलविद्युत संयंत्र बनाया गया था।
  7. सोने का उत्पादन: उन्नीसवीं सदी में भारत के 95% सोने का उत्पादन केजीएफ गोल्ड फील्ड से होता था।

KGF मूवी की कहानी और सफलता

केजीएफ: चैप्टर 1, 2018 में रिलीज़ हुई कन्नड़ भाषा की फिल्म है, जिसे बाद में हिंदी, तमिल, तेलुगु और मलयालम सहित कई भाषाओं में डब किया गया। फिल्म का निर्देशन प्रशांत नील ने किया था और होम्बले फिल्म्स के बैनर तले विजय किरागंदूर द्वारा निर्मित किया गया था। यह 1970 और 1980 के दशक में स्थापित एक पीरियड ड्रामा है, जो रॉकी नाम के एक युवक की कहानी कहता है, जो गरीबी से उठकर कोलार गोल्ड फील्ड्स में एक खतरनाक गैंगस्टर बन जाता है।

KGF movies3

KGF मूवी की तैयारी और सफलता

रॉकी की भूमिका निभाने वाले यश ने इस भूमिका की तैयारी के लिए आठ महीने के कठोर शारीरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरना पड़ा। उन्होंने वजन बढ़ाया और चरित्र के लिए एक मांसल काया का निर्माण किया। फिल्म का बजट लगभग 80 करोड़ (लगभग 11 मिलियन अमरीकी डालर) था, जिससे यह अब तक की सबसे महंगी कन्नड़ फिल्मों में से एक बन गई। फिल्म एक व्यावसायिक सफलता थी और दुनिया भर में 250 करोड़ (लगभग 35 मिलियन अमरीकी डालर) से अधिक की कमाई की।

KGF के बारे में इंटरेस्टिंग बातें

  1. महंगे बजट की फिल्म: फिल्म का बजट लगभग 80 करोड़ था, जिससे यह सबसे महंगी कन्नड़ फिल्मों में से एक बनी।
  2. अंतर्राष्ट्रीय सफलता: KGF: चैप्टर 1 दुनिया भर में 250 करोड़ से अधिक की कमाई की।
  3. रॉकी का किरदार: यश ने रॉकी की भूमिका के लिए आठ महीने तक कठोर प्रशिक्षण लिया।
  4. सीक्वल की प्रतीक्षा: KGF: चैप्टर 2 का 2022 में रिलीज होने की तैयारी है।

KGF मूवी की शूटिंग

केजीएफ (कोलार गोल्ड फील्ड्स) मूवी की शूटिंग ने भारतीय सिनेमा में एक नया मानदंड स्थापित किया। यह फिल्म न केवल अपनी कहानी और अभिनय के लिए जानी जाती है, बल्कि इसकी भव्यता और विस्तृत सेट डिज़ाइन के लिए भी मशहूर है। यहां हम जानेंगे कि केजीएफ मूवी की शूटिंग कैसे और कहां हुई, और इसमें किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

स्थान चयन

फिल्म की प्रामाणिकता बनाए रखने के लिए, कई वास्तविक और ऐतिहासिक स्थानों पर शूटिंग की गई। हालांकि, कोलार गोल्ड फील्ड्स में शूटिंग करना संभव नहीं था क्योंकि यह खदान अब उपयोग में नहीं है और खंडहर में तब्दील हो चुकी है। इसलिए, निम्नलिखित प्रमुख स्थानों पर शूटिंग की गई:

  1. कर्नाटक: कर्नाटक के विभिन्न स्थानों पर शूटिंग की गई, विशेष रूप से कोलार जिले के आसपास के क्षेत्रों में। इस क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताएं और पुरानी खदानें फिल्म के दृश्यात्मक अनुभव को प्रामाणिक बनाती हैं।
  2. हैदराबाद: हैदराबाद में रामोजी फिल्म सिटी का उपयोग किया गया, जहां कई महत्वपूर्ण सेट बनाए गए। यह स्थान अपने विस्तृत और बहुमुखी सेट के लिए जाना जाता है और यहां कई बड़ी भारतीय फिल्मों की शूटिंग होती है।
  3. कोलार: कुछ दृश्यों के लिए, कोलार के पास के क्षेत्रों को चुना गया ताकि वास्तविकता के करीब पहुंचा जा सके। हालांकि, वास्तविक खदानों में शूटिंग नहीं हो सकी, लेकिन उनके आसपास के इलाकों ने फिल्म को वास्तविकता का अनुभव देने में मदद की।

सेट डिज़ाइन और प्रोडक्शन

फिल्म का सेट डिज़ाइन और प्रोडक्शन डिज़ाइन बेहद भव्य और विस्तृत था। इसके लिए विशेष तौर पर निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया गया:

  1. विस्तृत सेट निर्माण: रामोजी फिल्म सिटी में बड़े पैमाने पर सेट बनाए गए, जिसमें पुराने जमाने की खदानें, गांव और शहरों के सेट शामिल थे। सेट को वास्तविकता के करीब बनाने के लिए प्राचीन वास्तुकला और डिजाइन का उपयोग किया गया।
  2. वेशभूषा और प्रॉप्स: फिल्म में 1970 और 1980 के दशक के लुक को दर्शाने के लिए विशेष वेशभूषा और प्रॉप्स का उपयोग किया गया। इससे फिल्म की प्रामाणिकता और भी बढ़ गई।
  3. धूल और धुएं का उपयोग: खदानों के माहौल को वास्तविक बनाने के लिए सेट पर धूल और धुएं का व्यापक उपयोग किया गया। इससे दर्शकों को वास्तविक खदानों का अनुभव हुआ।

तकनीकी पहलू

फिल्म की तकनीकी टीम ने अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया ताकि शूटिंग को उच्च गुणवत्ता में पूरा किया जा सके:

  1. कैमरा और सिनेमैटोग्राफी: फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भव्य और प्रभावशाली है। बुएनहुएल्स द्वारा कैमरा वर्क ने हर फ्रेम को जीवंत बना दिया। ड्रोन कैमरा, जिम्बल और स्टेडिकैम जैसे उपकरणों का उपयोग किया गया।
  2. वीएफएक्स और सीजीआई: फिल्म में वीएफएक्स और सीजीआई का भी महत्वपूर्ण योगदान है। खदानों और बड़े लड़ाई के दृश्यों को वास्तविक बनाने के लिए इन तकनीकों का उपयोग किया गया।
  3. ध्वनि डिज़ाइन: फिल्म का ध्वनि डिज़ाइन भी उत्कृष्ट है। खदानों के अंदरूनी हिस्सों की आवाज़, विस्फोटों और लड़ाई के दृश्यों को ध्वनि प्रभावों के माध्यम से और भी वास्तविक बनाया गया।

शूटिंग के दौरान चुनौतियां

केजीएफ की शूटिंग के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा:

  1. प्राकृतिक परिस्थितियां: खदानों के आसपास के इलाकों में शूटिंग करना मुश्किल था। यहां की धूल और गर्मी ने टीम के लिए कठिनाइयां पैदा कीं।
  2. सुरक्षा: खदानों के सेट पर सुरक्षा एक बड़ी चिंता थी। पुराने खदानों में शूटिंग करने से कई जोखिम थे, जिन्हें ध्यान में रखते हुए सुरक्षा उपाय अपनाए गए।
  3. लॉजिस्टिक्स: बड़े पैमाने पर सेट और प्रॉप्स को विभिन्न स्थानों पर ले जाना और स्थापित करना एक बड़ी चुनौती थी। टीम ने इस काम को कुशलता से पूरा किया।

टीम वर्क और समर्पण

फिल्म की सफलता का मुख्य कारण टीम वर्क और समर्पण है। निर्देशक प्रशांत नील, अभिनेता यश और पूरी टीम ने इस परियोजना में अपना 100% दिया। हर छोटे से छोटे विवरण पर ध्यान दिया गया ताकि फिल्म को उत्कृष्ट बनाया जा सके।

FAQs

  1. केजीएफ क्या है? केजीएफ का पूरा नाम कोलार गोल्ड फील्ड्स है, जो कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित एक सोने की खदान है।
  2. केजीएफ मूवी किस पर आधारित है? केजीएफ मूवी कोलार गोल्ड फील्ड्स की खदानों और वहां के इतिहास पर आधारित है।
  3. केजीएफ से कितना सोना निकाला जा चुका है? 121 साल के इतिहास में इस खदान से करीब 900 टन सोना निकाला जा चुका है।
  4. आज केजीएफ के हालात क्या हैं? वर्तमान में केजीएफ खंडहर में तब्दील हो चुकी है और सोने की खदानों में पानी भर गया है।
  5. केजीएफ मूवी का निर्देशन किसने किया? केजीएफ मूवी का निर्देशन प्रशांत नील ने किया है।

निष्कर्ष

केजीएफ की कहानी सिर्फ एक सोने की खदान की नहीं, बल्कि संघर्ष, मेहनत और समर्पण की कहानी है। यह खदान जहां एक समय भारत का 95% सोना निकालती थी, आज खंडहर में तब्दील हो चुकी है। सुपरस्टार यश की फिल्म केजीएफ ने इस खदान की कहानी को दुनिया के सामने लाया और उसे एक नई पहचान दिलाई। आशा है कि इस लेख से आपको केजीएफ की असली कहानी और इसके बारे में रोचक जानकारी मिली होगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular