भगवद गीता के अनमोल विचार हिंदी में
भगवद गीता, जो महाभारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, न केवल धर्म और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि जीवन जीने की एक अद्वितीय कला भी सिखाती है। इसके श्लोक न केवल गहरे दार्शनिक और आध्यात्मिक संदेश प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन भी करते हैं। गीता के अनमोल विचार हमें कर्म, धर्म, भक्ति और ज्ञान का सही अर्थ समझाते हैं। आइए, जानते हैं कुछ प्रमुख श्लोकों और उनके अर्थों को विस्तार से।
1. कर्म पर अधिकार, फल की चिंता नहीं
श्लोक: “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥”
अर्थ: तुम्हारा केवल कर्म पर अधिकार है, उसके फल पर नहीं। इसलिए कर्म करते समय फल की इच्छा मत करो और न ही निष्क्रियता से जुड़ो।
यह श्लोक हमें सिखाता है कि हमें केवल अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, न कि उसके परिणाम पर। फल की चिंता छोड़कर, ईमानदारी से कार्य करना ही सच्ची सफलता का मार्ग है।
2. आत्मा अमर है
श्लोक: “न जायते म्रियते वा कदाचिन्
नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥”
अर्थ: आत्मा का न कभी जन्म होता है और न ही इसकी मृत्यु होती है। यह शाश्वत, नित्य और अमर है। शरीर के नाश होने पर भी आत्मा नष्ट नहीं होती।
यह श्लोक जीवन और मृत्यु के गूढ़ रहस्यों को उजागर करता है। आत्मा को अमर मानकर, हमें जीवन की कठिनाइयों से घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि यह शरीर नश्वर है, परंतु आत्मा अजर-अमर है।
3. मोह और भ्रम से मुक्ति
श्लोक: “यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥”
अर्थ: जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म का प्रबल होना प्रारंभ होता है, तब-तब मैं अपने रूप को धारण कर पृथ्वी पर आता हूँ।
भगवान कृष्ण का यह श्लोक बताता है कि जब संसार में अधर्म और अन्याय बढ़ने लगता है, तब ईश्वर स्वयं धरती पर अवतार लेते हैं और धर्म की स्थापना करते हैं। यह श्लोक हमें धर्म के महत्व को समझाता है और यह बताता है कि ईश्वर सदैव धर्म के पक्ष में होते हैं।
4. सुख-दुख समभाव से स्वीकारो
श्लोक: “सुख-दुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि॥”
अर्थ: सुख-दुख, लाभ-हानि, और जय-पराजय को समान समझकर कर्म करो, क्योंकि यह निष्काम कर्म ही तुम्हें पाप से मुक्त करेगा।
यह श्लोक बताता है कि हमें हर परिस्थिति में समभाव रखना चाहिए। जीवन में सुख और दुख दोनों आते हैं, परंतु हमें किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होना चाहिए। जो व्यक्ति हर परिस्थिति में स्थिर रहता है, वही सच्चा कर्मयोगी होता है।
5. मन का नियंत्रण
श्लोक: “उद्धरेदात्मनाऽऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥”
अर्थ: मनुष्य स्वयं अपने मित्र और शत्रु होता है। वह अपने विचारों और कर्मों से अपने जीवन का निर्माण करता है।
इस श्लोक में भगवान कृष्ण समझाते हैं कि हमें अपने मन और आत्मा का सही मार्गदर्शन करना चाहिए। यदि हम अपने विचारों और कर्मों पर नियंत्रण रखेंगे, तो जीवन में सफलता और शांति प्राप्त कर सकते हैं।
6. ज्ञान ही सच्चा प्रकाश है
श्लोक: “न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।
तत्स्वयं योगसंसिद्धः कालेनात्मनि विन्दति॥”
अर्थ: इस संसार में ज्ञान के समान कोई पवित्र वस्तु नहीं है। योग द्वारा स्वयं को शुद्ध करने के बाद, व्यक्ति इस ज्ञान को प्राप्त करता है।
यह श्लोक ज्ञान के महत्व को दर्शाता है। सच्चा ज्ञान ही हमें अज्ञानता के अंधकार से मुक्त करता है और जीवन में सफलता की ओर अग्रसर करता है।
7. सच्ची भक्ति का फल
श्लोक: “पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मनः॥”
अर्थ: जो व्यक्ति मुझे प्रेम और श्रद्धा से एक पत्ता, एक फूल, एक फल, या जल भी अर्पित करता है, मैं उसे स्वीकार करता हूँ।
यह श्लोक बताता है कि ईश्वर को भक्ति और प्रेम से अर्पित की गई कोई भी वस्तु स्वीकार होती है। भगवान कृष्ण यहाँ भक्ति की महिमा का वर्णन करते हैं, यह बताते हुए कि भक्ति ही सच्चा उपहार है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. भगवद गीता का मुख्य संदेश क्या है?
भगवद गीता का मुख्य संदेश है कर्मयोग। इसे कर्म करने का विज्ञान कहा जाता है, जहाँ बिना फल की चिंता किए कर्म करने पर जोर दिया जाता है। यह जीवन में धर्म, भक्ति, और ज्ञान के महत्व को भी समझाती है।
Q2. भगवद गीता के कितने अध्याय हैं?
भगवद गीता में कुल 18 अध्याय हैं, जिनमें से हर एक अध्याय जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझाता है, जैसे कर्म, ज्ञान, और भक्ति का महत्व।
Q3. भगवद गीता के कितने श्लोक हैं?
भगवद गीता में कुल 700 श्लोक हैं, जो जीवन के गूढ़ रहस्यों को उजागर करते हैं।
Q4. भगवद गीता हमें क्या सिखाती है?
भगवद गीता हमें जीवन में संतुलन, धैर्य, कर्म, और निष्काम भक्ति की महत्ता सिखाती है। यह हमें सिखाती है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, बिना फल की चिंता किए, और अपने जीवन को आत्मा की दृष्टि से देखना चाहिए।
श्रीमद भगवद गीता उपदेश (Bhagavad Gita quotes)
- जिसने मन को जीत लिया है, उसने पहले ही परमात्मा को प्राप्त कर लिया है, क्योंकि उसने शान्ति प्राप्त कर ली है। ऐसे मनुष्य के लिए सुख-दुख, सर्दी-गर्मी और मान-अपमान एक से है।
- बुद्धिमान व्यक्ति ईश्वर के सिवा और किसी पर निर्भर नहीं रहता.
- निर्णय लेते समय ना ज़्यादा ख़ुश हो ना ज़्यादा दुखी हो दोनो परिस्थितियाँ आपको सही निर्णय लेने नही देती.
- जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु भी निश्चित है. इसलिए जो होना ही है उस पर शोक मत करो
- मनुष्य अपने हृदय से जो दान कर सकता है वो अपने हाथों से नहीं कर सकता और मौन रहकर जो कुछ वो कह सकता है वो शब्दों से नहीं कह सकता
- ईश्वर ने हमें जो कुछ भी दिया है वही हमारे लिए पर्याप्त है और यही एक अटल सत्य भी है
- इस संसार में हम खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाएंगे,जो आज हमारा है वह कल किसी और का होगा,इसलिए हम अपने जीवन में जो भी करते हैं उसे पूरी श्रद्धा के साथ अपने इष्ट देव को अर्पण कर देना चाहिए
- जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा ही होगा।
- जीवन न तो भविष्य में है, न अतीत में है, जीवन तो बस इस पल में है.
- कोई भी व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह व्यक्ति एक विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करें।
- फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है।
- जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वह भी अच्छा ही होगा।
- मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है, वैसा वह बन जाता है।
- कर्म करो, फल की चिंता मत करो।
- जो व्यक्ति निष्काम भाव से कर्म करता है, वह जीवन के बंधनों से मुक्त हो जाता है।
- वह व्यक्ति वास्तव में ज्ञानी है जो हर जगह समानता देखता है।
- अशांति से कुछ नहीं मिलता, शांति से ही सब कुछ पाया जा सकता है।
- जो अपने मन को नियंत्रित नहीं कर सकता, वह अपने शत्रु के समान है।
- क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, और बुद्धि के व्यग्र होने से तर्कशक्ति नष्ट हो जाती है।
- जिस प्रकार व्यक्ति पुराने कपड़ों को त्याग कर नए कपड़े पहनता है, वैसे ही आत्मा पुराने शरीर को त्याग कर नए शरीर को धारण करती है।
- जो इस संसार में अपने कर्मों के फल की इच्छा किए बिना काम करता है, वही वास्तव में सुखी होता है।
- आत्म-संयम ही सच्चा बल है।
- जो व्यक्ति हमेशा संतुलन में रहता है, वही सफल होता है।
- तुम्हारा कर्म ही तुम्हारा धर्म है।
- जो व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर लेता है, वह अपने जीवन की सबसे बड़ी विजय प्राप्त कर लेता है।
- धैर्य, सहनशीलता और समर्पण से सफलता प्राप्त होती है।
- आत्मा अजर, अमर और अविनाशी है।
- जिसके पास जो है, वह उसी से संतुष्ट रहता है, वही सच्चा ज्ञानी है।
- जो व्यक्ति अपने क्रोध और इच्छाओं को नियंत्रित कर सकता है, वह सबसे बड़ा योद्धा है।
- मृत्यु एक अटल सत्य है, और जीवन एक अवसर है।
- मुक्ति का मार्ग केवल ज्ञान और भक्ति से ही प्राप्त हो सकता है।
- जो अपने कर्तव्यों का पालन करता है, वह सच्चा धर्मात्मा है।
- सभी का सम्मान करो, क्योंकि हर व्यक्ति में भगवान का अंश होता है।
- भय को त्यागो, विश्वास को अपनाओ।
- संसार में कोई भी वस्तु स्थायी नहीं है।
- अपने मन को स्थिर और शांत रखो, और आत्मा की आवाज सुनो।
- हर व्यक्ति के भीतर एक दिव्य शक्ति होती है, जो उसे अद्वितीय बनाती है।
- जीवन का वास्तविक सुख सेवा में है।
- धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं होता।
- अज्ञानता को ज्ञान से दूर करो, क्योंकि ज्ञान ही वास्तविक शक्ति है।
- किसी भी कार्य को करने में जो आनंद मिलता है, वही सच्चा पुरस्कार है।
निष्कर्ष
भगवद गीता के अनमोल विचार हमें जीवन में सफलता प्राप्त करने, मन की शांति बनाए रखने और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। गीता हमें यह समझाती है कि सच्चा सुख और शांति हमारे कर्मों और विचारों पर निर्भर करते हैं। जब हम अपने मन को सही दिशा में नियंत्रित करते हैं और निष्काम भाव से कर्म करते हैं, तभी हम जीवन में वास्तविक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
भगवद गीता का हर श्लोक हमें जीवन के किसी न किसी पहलू में मार्गदर्शन देता है। इसे केवल धार्मिक ग्रंथ मानकर नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शन समझकर अध्ययन करना चाहिए।