HomeKids Worldशेर और चूहे की कहानी | नैतिक शिक्षा और दोस्ती की मिसाल

शेर और चूहे की कहानी | नैतिक शिक्षा और दोस्ती की मिसाल

परिचय:

बच्चों की कहानियाँ न केवल मनोरंजन का साधन होती हैं, बल्कि यह हमें महत्वपूर्ण जीवन के सबक भी सिखाती हैं। आज हम एक ऐसी ही कहानी साझा कर रहे हैं, जो बताती है कि छोटे से छोटा जीव भी एक बड़े जीव का सच्चा मित्र बन सकता है। यह कहानी है “शेर और चूहे की दोस्ती”, जिसमें शेर ने अपनी ताकत का उपयोग नहीं किया बल्कि एक छोटे चूहे को अपना मित्र बना लिया। आइए जानते हैं इस दिलचस्प कहानी को!

कहानी:

जंगल में एक चूहा भूख से पीड़ित इधर-उधर भोजन की तलाश में घूम रहा था। उसका पेट खाली था, और उसे कहीं भी खाने को कुछ नहीं मिल रहा था। तभी उसे पास की एक गुफा से मांस की गंध आई। चूहे की भूख और तेज हो गई और वह तुरंत गुफा की ओर भागा।

गुफा में पहुंचते ही चूहा मांस के टुकड़ों को देखकर बहुत खुश हुआ। उसने बिना समय गंवाए सारे मांस के टुकड़े खा लिए और फिर एक लम्बी डकार लेकर गुफा के एक कोने में आराम से सो गया। उसे क्या पता था कि यह गुफा जंगल के राजा शेर की है!

शेर की वापसी

शेर, जो जंगल का राजा था, शिकार करके गुफा में वापस आया। उसने गुफा के बीचों-बीच सोए हुए छोटे चूहे को देखा। शेर को बहुत गुस्सा आया कि यह नन्हा जीव उसकी गुफा में कैसे घुस आया! जैसे ही चूहे ने शेर की आहट सुनी, वह भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन शेर ने उसे अपने पंजों से पकड़ लिया।

चूहे की विनती

चूहा डर से कांपने लगा और गिड़गिड़ाते हुए बोला, “हे जंगल के राजा, अगर मुझे पता होता कि यह आपकी गुफा है, तो मैं कभी इतनी हिम्मत नहीं करता। मुझे माफ कर दीजिए, मैं एक छोटा सा जीव हूँ और भूख के कारण मुझसे यह गलती हो गई। कृपया मुझे छोड़ दीजिए, मैं आपकी गुफा को साफ रखने का वादा करता हूँ।”

चूहा जोर-जोर से रोने लगा और अपनी जान की भीख मांगने लगा। शेर ने चूहे को ध्यान से देखा और सोचा, “इस नन्हें जीव को खाकर तो मेरे दांत भी गीले नहीं होंगे।”

शेर की समझदारी

शेर थोड़ी देर के लिए सोच में पड़ गया। उसे एहसास हुआ कि गुफा में इस बार इतनी सफाई क्यों है। उसने सोचा, “यह तो इसी छोटे चूहे की वजह से हुआ है।” शेर ने चूहे से कहा, “तुम्हें मैं नहीं खाऊंगा, बल्कि तुम यहाँ मेरे साथ रह सकते हो।”

दोस्ती का अनोखा प्रस्ताव

शेर ने चूहे को समझाया, “मैं शिकार करके लाता हूँ और गुफा में बैठकर मांस खाता हूँ। अक्सर मांस के छोटे-छोटे टुकड़े इधर-उधर गिर जाते हैं और फिर उनसे दुर्गन्ध फैलने लगती है। अगर तुम चाहो, तो तुम इन टुकड़ों को खाकर अपना पेट भर सकते हो और बदले में गुफा साफ़ हो जाएगी।”

चूहे को यह सुनकर विश्वास ही नहीं हुआ कि जंगल का राजा उसे अपना दोस्त बनने का प्रस्ताव दे रहा है। उसने तुरंत शेर का धन्यवाद किया और खुशी-खुशी गुफा में रहने लगा।

दोस्ती की शुरुआत

अब शेर और चूहा अच्छे दोस्त बन गए। शेर अपने शिकार के बाद गुफा में आराम करता, और चूहा गिरे हुए मांस के टुकड़े खाकर गुफा को साफ रखता। दोनों एक-दूसरे की मदद से खुशहाल जीवन जीने लगे।

कहानी से सीख:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बड़े और ताकतवर लोगों को हमेशा छोटे और कमजोर जीवों की मदद करनी चाहिए। यह भी सिखाता है कि दोस्ती के लिए आकार या ताकत मायने नहीं रखती। चूहे ने अपनी सफाई और चतुराई से शेर का दिल जीत लिया, और शेर ने अपनी दयालुता और समझदारी से उसे अपना मित्र बना लिया।

कहानी का महत्व:

“शेर और चूहे की कहानी” हमें यह बताती है कि कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता। हर किसी का जीवन में अपना महत्व होता है और हमें सभी के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए। बच्चों के लिए यह एक प्रेरणादायक और नैतिक शिक्षा देने वाली कहानी है, जो बताती है कि दोस्ती और मदद से हम सभी जीवन को बेहतर बना सकते हैं।

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