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Owl – उल्लू के प्रकार और विशेषताएँ भारतीय वन्यजीव संरक्षण में एक महत्वपूर्ण योगदान

उल्लू की अधिकतम प्रजातियां निशाचर होती है | जो रात के समय शिकार करती है | लेकिन pygmy owl जैसी कुछ प्रजाति ऐसी भी होती है | जो श्याम और सुबह सवेरे शिकार पर निकलती है |

Owl – उल्लू के बारे में रोचक जानकारी :- :

भारत में उल्लू (Owl) के विभिन्न प्रजातियां प्राचीन समय से ही वन्यजीव संरक्षण के प्रमुख अंग रही हैं। यहां उल्लू के कुछ महत्वपूर्ण प्रजातियां और उनकी विशेषताओं का वर्णन किया गया है:

बरोइंग उल्लू (Burrowing Owl):Burrowing Owl

बरोइंग उल्लू, जिसे वैज्ञानिक रूप से Athene cunicularia कहा जाता है, अमेरिका के महाद्वीप में खुले मैदानी क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक छोटा, लम्बे पैरों वाला उल्लू है। यहां कुछ मुख्य विशेषताएँ और तथ्य बरोइंग उल्लू के बारे में हैं:

  1. रूपरेखा:
    • इसका सिर गोल होता है और उज्ज्वल पीली आंखें होती हैं, और यह कानों के झूले की अभाव में होता है, जो इसे अन्य उल्लू प्रजातियों से अलग करता है।
    • वयस्क उल्लू सामान्यतः 7.5 से 11 इंच (19 से 28 सेंटीमीटर) लंबाई के होते हैं और उनकी पंखों की फैलाई लगभग 21 इंच (53 सेंटीमीटर) होती है।
  2. आवास:
    • बरोइंग उल्लू घास के मैदान, रेगिस्तान और कृषि भूमि जैसे खुले क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां उन्हें गोदाम बनाने के लिए उपयुक्त गुफाएँ मिलती हैं।
    • इन्हें अक्सर प्रेरणा वाली कूदों या समान गोदाम वाले साँपों के त्यागी गुफाओं में पाया जाता है।
  3. व्यवहार:
    • अधिकांश उल्लू की तुलना में, बरोइंग उल्लू दिन के समय सक्रिय होते हैं और उन्हें उनकी गोदाम के पास या फेंस पोस्ट के पास देखा जा सकता है।
    • उन्हें संवाद के रूप में बोबिंग या झुकाव की अनोखी चाल में जाना जाता है।
  4. आहार:
    • उनका आहार मुख्य रूप से छोटे स्तनधारियों जैसे कीड़े मकोड़े, कीड़े, छोटे पक्षी, और कभी-कभी अम्फिबियन्स और सरीसृपों से होता है।
    • वे कुशल शिकारी होते हैं और अक्सर अपनी गोदाम के पास या पंखों पर से शिकार करते हैं।
  5. संरक्षण स्थिति:
    • बरोइंग उल्लू को नगरीकरण, कृषि विकास, और घास के क्षेत्र की परिवर्तन से होने वाले आवास की हानि जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • संरक्षण के प्रयास इनकी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिसमें निवास स्थलों की सुरक्षा, कृषि भूमि में उनकी उत्पत्ति, और जनसंख्या के अनुसंधान और मॉनिटरिंग शामिल हैं।
  6. प्रजनन:
    • ब्रीडिंग जोड़े अक्सर जीवनभर साथी रहते हैं और अपनी गोदाम के आसपास छोटे क्षेत्रों को बनाए रखते हैं।
    • वे आमतौर पर हर बार 6-8 अंडे देते हैं, और अंडों को धारण और युवा पालने में दोनों माता-पिता भाग लेते हैं।
  7. अनुकूलन:
    • बरोइंग उल्लू इंसान द्वारा परिवर्तित परिस्थितियों में अच्छी तरह से अनुकूलित हो गए हैं, अक्सर गोल्फ कोर्सों, हवाई अड्डों, और खाली जगहों में उपयुक्त गोदामों में अपने आवास बनाकर रहते हैं।
    • वे इस स्थान पर रहने में मदद करते हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों में मानव गतिविधियों से भी खतरा हो सकता है।

बरोइंग उल्लू रोमांचक प्राणियों में से एक हैं जिनके विशिष्ट व्यवहार और उनके विभिन्न पर्यावरणों में अनुकूलन के लिए विशेष अनुकूलन हैं। संरक्षण प्रयास इनकी जीवनकालीन सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ओरिएंटल स्कूप उल्लू (Oriental Scops Owl):
Oriental Scops Owl

ओरिएंटल स्कॉप्स उल्लू, जिसे वैज्ञानिक रूप से Otus sunia कहा जाता है, एक छोटा उल्लू है जो एशिया में पाया जाता है। इसकी विशेषताएँ और विवरण निम्नलिखित हैं:

  1. रूपरेखा:
    • ओरिएंटल स्कॉप्स उल्लू का आकार छोटा होता है, उसकी ऊँचाई लगभग 8-10 इंच (20-26 सेंटीमीटर) होती है।
    • इसके सिर पर धुंधली सफेदी-सफेदी की पंखुड़ियाँ होती हैं और उसकी आंखें बड़ी होती हैं जो रात में अच्छी तरह से काम करती हैं।
  2. आवास:
    • यह उल्लू अक्सर घने जंगलों, बाग़-बगिचों, और गहरे वन्य जीव अधिवासों में पाया जाता है।
    • इसका आवास वृक्षों की खोखलीयों में या जड़ों के निकट स्थित पेड़ों में होता है, जहां वह अपनी गोदाम बनाता है।
  3. व्यवहार:
    • ओरिएंटल स्कॉप्स उल्लू रात के समय सक्रिय होता है और उसकी धुंधली आवाज़ बहुत सुना जाता है।
    • यह अपने शिकार को ध्यान से पकड़ता है, जिसमें छोटे पक्षियों, कीड़े-मकोड़े, और अन्य छोटे जीवों को शामिल किया जाता है।
  4. आहार:
    • इसका प्रमुख आहार छोटे स्तनधारियों, कीड़ों, और कीड़े-मकोड़ों से होता है।
    • यह उल्लू शिकार को रात के समय पकड़ता है और अपनी गोदाम में ले जाता है जहां वह उसे खा जाता है।
  5. संरक्षण स्थिति:
    • ओरिएंटल स्कॉप्स उल्लू का प्रमुख संरक्षण संकेत है क्योंकि इसकी जनसंख्या वृद्धि में कठिनाइयों का सामना कर रही है।
    • इसके प्राकृतिक आवास की खोज और उसकी सुरक्षा के लिए संगठनों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं।

यह थे कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ओरिएंटल स्कॉप्स उल्लू के बारे में, जो एशिया के वन्यजीव संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

शॉर्ट इयर्ड उल्लू (Short-eared Owl):Short-eared Owl

शॉर्ट-ईयर्ड उल्लू, वैज्ञानिक रूप से Asio flammeus, एक रोचक प्रजाति है जो विभिन्न महाद्वीपों में पाई जाती है, जैसे उत्तर अमेरिका, यूरोप, एशिया, और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्से। यहां इसके कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ और विवरण दिए गए हैं:

  1. रूपरेखा:
    • शॉर्ट-ईयर्ड उल्लू मध्यम आकार के होते हैं जिनकी पंख प्रस्पर्द्धता लगभग 85-110 सेंटीमीटर (33-43 इंच) और लंबाई 34-43 सेंटीमीटर (13-17 इंच) होती है।
    • इसके मुख्य पहचान वाली चेहरे की डिस्क होती है जिसमें पीली आंखें और सिर पर छोटी पंखों (कान के झुंड) होते हैं, जो इसे एक पहचानीय रूप देते हैं।
  2. आवास:
    • यह उल्लू घास के मैदान, दलदल, घास के मैदान, और कृषि क्षेत्रों जैसे खुले परिसर को पसंद करता है जहां वह अपना मुख्य शिकार जैसे की छोटे स्तनपायी जैसे बेल, और चूहों को पा सकता है।
    • प्रजनन के मौसम में, यह उसकी अधिकतम बचाओ के लिए बने अंडे को धरता है, जो घास या नीचे वनस्पति के बीच छिपे होते हैं।
  3. व्यवहार:
    • शॉर्ट-ईयर्ड उल्लू संध्या और सुबह के वक्त अक्सर शिकार करता है।
    • यह अपने शिकार को पकड़ने के लिए खुले क्षेत्रों में नीचे उड़ता है, उसकी अक्षमता के बारे में सुनने के लिए और उसे पकड़ने के लिए उड़ता है।
  4. आहार:
    • इसका आहार मुख्य रूप से छोटे स्तनपायियों जैसे बेल, और चूहों जैसे छोटे स्तनपायी पर निर्भर करता है।
    • यह कभी-कभी छोटे पक्षी, कीट, और कभी-कभी मछली के अन्य स्तनपायियों का भी सेवन करता है।
  5. प्रजनन:
    • प्रजनन का मौसम क्षेत्रान्त होता है लेकिन सामान्य रूप से मार्च से जुलाई तक होता है।
    • इसकी अधिकतम जनसंख्या विभिन्न स्थानीय आवास की स्थिति और शिकार की उपलब्धता के अनुसार भिन्न हो सकती है|
      भारतीय वन्यजीव संरक्षण में शॉर्ट-ईयर्ड उल्लू का महत्वपूर्ण योगदान है। यह पक्षी भारतीय वन्यजीव संरक्षण के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका प्रमुख आवास खुले भूमि क्षेत्रों में होता है जैसे कि घास के मैदान, दलदल, और खुले खेत। इसका आवास विशेष रूप से भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में पाया जाता है जहां यह अपना आहार प्राप्त करता है और अपने अंडे रखता है।
      शॉर्ट-ईयर्ड उल्लू की स्थिति प्रत्येक वर्ष विभिन्न प्राकृतिक वर्षा और प्राकृतिक तापमान के बदलाव के अनुसार बदलती है। इसके बचाव और संरक्षण में, भारतीय सरकार और संबंधित संगठन उसकी सुरक्षा के लिए कार्य कर रहे हैं, जैसे कि उसके आवास की स्थिति को संरक्षित करना, और उसके शिकार के लिए प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा।
      इस प्रकार, शॉर्ट-ईयर्ड उल्लू भारतीय वन्यजीव संरक्षण में एक महत्वपूर्ण पारंपरिक और साधारण प्रजाति के रूप में अपना योगदान दे रहा है और इसकी संरक्षा के लिए उचित उपाय लिए जा रहे हैं।

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