HomeOthergeneral knowledgeOwl - उल्लू के प्रकार और विशेषताएँ भारतीय वन्यजीव संरक्षण में एक...

Owl – उल्लू के प्रकार और विशेषताएँ भारतीय वन्यजीव संरक्षण में एक महत्वपूर्ण योगदान

- Advertisement -

भारत में Owl – उल्लू की 36 प्रजातियां पाई जाती है | इन सभी प्रजातियों को वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित रखा गया है| भारत में उल्लू का अवैध शिकार व्यापार या किसी अन्य प्रकार का शोषण एक दंडनीय अपराध है |

- Advertisement -

Owl – उल्लू प्राचीन समय से ही लोकप्रिय रहे हैं | रो का इतिहास ६० मिलियन वर्ष पूर्वl पेलियोसिन युग की शुरुआत का है | खोज में यह भी पता चला है | के शुरुआती उल्लू आज के आधुनिक लोगों की तुलना में अधिक बड़े आकार के थे |

कि आप जानते हैं उल्लू अपने खाने का शिकार का स्टॉक भी रखते हैं | जिसे कैचिंग कहा जाता है | ऐसा वे तब करते हैं जब शिकार की उपलब्धता अधिक मात्रा में होती है | उल्लू अपने शिकार को पेड़ों के छेद छेद में या चट्टानों के पीछे छुपा कर रखते हैं |यह स्टोक एक या 2 दिन का हो सकता है |

- Advertisement -

आधुनिक जापान में उल्लू को अच्छे भाग्य की निशानी माना जाता है | वहां के कई लोग इन्हें अपने घरों में पलना बहुत पसंद करते हैं |

उल्लू की अधिकतम प्रजातियां निशाचर होती है | जो रात के समय शिकार करती है | लेकिन pygmy owl जैसी कुछ प्रजाति ऐसी भी होती है | जो श्याम और सुबह सवेरे शिकार पर निकलती है |

- Advertisement -

Owl – उल्लू के बारे में रोचक जानकारी :- :

Owl2

बरोइंग उलू , ओर। शॉर्ट इयर्ड उल्लु यह दो उल्लू प्रजातियां भी सुबह के समय शिकार करने में सक्रिय होती है | यह आपको जरूर पता होना चाहिए बहुत से लोगों में फेल हुए एक मिथक अनुसार उल्लू अपने सिर को 360-degree घुमा सकता है | जबकि वास्तव में उल्लू अपनी गर्दन को दोनों दिशा में दाएं और बाएं 135 135 डिग्री तक घुमा सकता है | इस तरह अपने सिर को कुल मिलाकर 270 डिग्री घुमा सकता है |

अपने उल्लू की आवाज तो सुनी होगी उसे हंटिंग करा जाता है | हालांकि उल्लू की सभी प्रजातियां हूटिंग कि नहीं करती कुछ प्रजाति ऐसी भी होती है जो सीटी बजाना गुराना फुफकारना यहां तक कि भोकने की आवाज भी निर्माण करती है |

उल्लू दूरदर्शी होते हैं हालांकि ने नजदीक की चीजें धुंधली धुंधली दिखाई देती है लेकिन इनकी जांच और पैरों पर जो पंख होते हैं उनकी मदद से ही अपने आसपास मंडरा रहे शिखर को महसूस कर सकते हैं

उल्लू की आवाज सुनने की शक्ति काफी तेज होती है | वह पत्तियों गंदगी और बर्फ के नीचे छिपे हुए अपने शिकार को सूक्ष्म आवाज को भी सुनने में सक्षम होते हैं |

क्या आपने गौर किया है उल्लू की आंखें काफी चौड़ी दिखती है | असल में उल्लू की आंखें में अन्य पशुओं की तरह नेत्र लो आइबुल्स नहीं होते हैं |

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उल्लू की आंखों पर तीन पलकें होती है | एक पलक झपक ने के लिए, एक सोने के लिए , और तीसरी अपनी आंखों को धूल मिट्टी से बचाने के लिए |

उल्लू रात के वक्त उड़ान भरने और शिकार खोदने के लिए चमगाद की तरह इको लोकेशन को इस्तेमाल नहीं करते वह सिर्फ अपनी आंखें कान एवं महसूस करने की क्षमता पर निर्भर होते हैं |

भारत एवं अमेरिका में चूहे की आबादी को नियंत्रित करने के लिए उनके नजदीकी क्षेत्र में उलु के लिए घर बनाते हैं | ताकि उल्लू आकर उसमें बस जाए और क्षेत्र में मौजूद चूहों की आबादी को कम कर दें इस तरीके का इस्तेमाल ज्यादातर किसान करते हैं | यह तरकीब की आबादी को बढ़ाने में कारगर साबित हो रही है |

उल्लू एक ऐसा पक्षी है जो रात को जागता है | और दिन में सोता है |

उल्लू इधर-उधर देखने के लिए अपनी आंखों को नहीं घुमाते बल्कि अपनी गर्दन को घुमाते हैं |

उल्लू को बहुत बुद्धिमान पक्षी माना गया है |

इसे धन की देवी लक्ष्मी का भवन भी कहा जाता है |

इनका जीवन का 20 से 25 साल तक का हो सकता है |

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Amazon Exclusive

Promotion

- Google Advertisment -

Most Popular