HomeOthergeneral knowledgeAnopcharik Patra लेखन करते वक्त ध्यान में रखने वाली बातें

Anopcharik Patra लेखन करते वक्त ध्यान में रखने वाली बातें

दोस्तों आज हमने Anopcharik Patra लिखे है। पत्र लेखन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है इनके द्वारा हम अपने परिचितों और अन्य व्यवहारिक कामों के लिए एक दूसरे से संवाद करने के लिए उपयोग में लेते है।

पत्र लेखन का एक महत्वपूर्ण प्रकार अनौपचारिक पत्र है। अनौपचारिक को पारिवारिक पत्र भी कहा जाता है क्योंकि इनके माध्यम से हम अपनी संवेदना, आभार, कृतज्ञता इत्यादि व्यक्त करते है।

अनौपचारिक पत्र क्या होते हैं?

अपने माता-पिता, जानने वाले, दोस्तों या सगे संबंधियों के लिए अनौपचारिक पत्र (इनफॉर्मल लेटर) लिखा जाता है। ये पत्र पूरी तरह से निजी या व्यक्तिगत होते हैं। इस तरह के पत्रों में व्यक्ति अपनी भावनाओं, विचारों व सूचनाओं को अपने चाहने वालों को भेजते हैं। इन पत्रों में भाषा बहुत ही सिंपल और आसान होती है। अनौपचारिक पत्र (इनफॉर्मल लेटर) में हालचाल पूछने या उन्हें निमंत्रण भेजने, धन्यवाद देने या कोई महत्वपूर्ण सूचना देने के लिए लिखे जाते हैं। वहीं इस तरह के पत्रों में शब्दों की संख्या लिखने वाले व्यक्ति पर निर्भर करती है।

अनौपचारिक पत्र लिखने हेतु मुख्य बिंदु

  • अनौपचारिक पत्र में शब्द सीमा नहीं होती है इस पत्र में कितने भी शब्द लिख सकते हैं क्योंकि इस पत्र में कोई पाबन्दी नहीं होती है।
  • अनौपचारिक पत्र में पृष्ठों की संख्या एक से अधिक हो सकती है।
  • अनौपचारिक पत्र स्वतंत्र होते हैं, इनमें भाषा और भावनाओं की पाबन्दी नहीं होती है।
  • इस प्रकार के पत्र में सुख-दुःख, मन की बात और भावनाओं को व्यक्त कर लिख सकते हैं।
  • पत्र में भाषा साधारण बोलचाल की भाषा होनी चाहिए जिससे प्रापक को पत्र में लिखी बाते आसानी से समझ में आ जाये।
  • पत्र प्रेषक और प्रापक का पता स्पष्ट व साफ लिखा होना चाहिए।

Anopcharik Patra किसे कहते हैं?

इस श्रेणी के अंतर्गत व्यक्तिगत पत्र आते हैं। व्यक्तिगत पत्र से तात्पर्य ऐसा पत्रों से है, जिन्हें व्यक्तिगत मामलों के संबंध में परिवारिक सदस्यों, मित्रों एवं अन्य परिजनों को लिखा जाता है। अतः हम कह सकते हैं व्यक्तिगत पत्र के आधार पर व्यक्तिगत संबंध होते हैं।

जैसे – पिता पुत्र को लिखा गया पत्र, मित्र को लिखा गया पत्र, संबंधी को लिखा गया पत्र, परिजनों को लिखा गया पत्र या अपने माता-पिता को लिखा जाता है।

अनौपचारिक पत्र अपने माता-पिता, परिजनों, दोस्तों या सगे संबंधियों को लिखा जाता है। ये पत्र पूरी तरह से निजी या व्यक्तिगत होते हैं।

इस तरह के पत्रों में व्यक्ति अपनी भावनाओं, विचारों व सूचनाओं को अपने प्रियजनों को भेजते हैं। इस तरह के पत्रों में भाषा बहुत ही सरल, सहज और मधुर होती है।

अनौपचारिक पत्र अपने प्रियजनों का हालचाल पूछने या उन्हें निमंत्रण भेजने, धन्यवाद देने या कोई महत्वपूर्ण सूचना देने के लिए लिखे जाते हैं। इसीलिए ऐसे पत्रों में शब्दों की संख्या लिखने वाले व्यक्ति पर निर्भर करती है।

Anopcharik Patra के प्रकार

write letter

अनौपचारिक पत्र अपने सगे, संबंधियों, रिश्तेदारों और परिवारजनों को लिखा जाता है, जो विभिन्न उद्देश्यों से हो सकता है:

निवेदन पत्र

अनुमति पत्र

निमंत्रण पत्र

बधाई पत्र

शुभकामना पत्र

आभार प्रदर्शन पत्र

संवेदना, सहानुभूति या सांत्वना पत्र

नाराजगी/खेद पत्र

सूचना/वर्णन संबंधी पत्र

सुझाव/सलाह पत्र

क्षमायाचना एवं आश्वासन संबंधी पत्र

Anopcharik Patra लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें

अनौपचारिक पत्र भले ही अपने सगे-संबंधी या परिवार जनों को लिखा जा रहा है। फिर भी इस पत्र को लिखते वक्त भाषा का सरल और स्पष्ट होना जरूरी है ताकि पत्र भेजने वाले व्यक्ति को पत्र में लिखी गई जानकारी अच्छी तरीके से समझ में आएं।

पत्र को ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर ना लिखते हुए संक्षिप्त में लिखे। इस तरह कम शब्दों में अधिक जानकारी होनी चाहिए।

अनौपचारिक पत्र अपने सगे-संबंधियो और छोटों को लिखा जाता है। ऐसे में पत्र में एक दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना अच्छी तरीके से व्यक्त होनी चाहिए।

पत्र में पत्र लेखक की आयु, उसकी योग्यता, उसके पद इत्यादि जैसी जानकारी को ध्यान रखा जाना चाहिए।

औपचारिक पत्र को लिखते वक्त ध्यान रहे कि पत्र का आरंभ और अंत प्रभावशाली होने चाहिए।

पत्र में ज्यादा कांट छांट नहीं होना चाहिए, इससे पत्र गंदा दिखेगा। पत्र को स्वच्छ होना चाहिए।

  • भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए।
  • पत्र लेखक तथा प्रापक की आयु, योग्यता, पद आदि का ध्यान रखा जाना चाहिए।
  • पत्र में लिखी बात संक्षिप्त होनी चाहिए।
  • पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।
  • भाषा और वर्तनी (ग्रामर)-शुद्ध तथा लेख-स्वच्छ होना चाहिए।
  • पत्र प्रेषक व प्रापक वाले का पता साफ व स्पष्ट लिखा होना चाहिए।
  • कक्षा/परीक्षा भवन से पत्र लिखते समय अपने नाम के स्थान पर क० ख० ग० तथा पते के स्थान पर कक्षा/परीक्षा भवन लिखना चाहिए।
  • अपना पता और दिनांक लिखने के बाद एक पंक्ति छोड़कर आगे लिखना चाहिए।

Anopcharik Patra किसे कहते हैं?

Patra lekhan

इस श्रेणी के अंतर्गत व्यक्तिगत पत्र आते हैं। व्यक्तिगत पत्र से तात्पर्य ऐसा पत्रों से है, जिन्हें व्यक्तिगत मामलों के संबंध में परिवारिक सदस्यों, मित्रों एवं अन्य परिजनों को लिखा जाता है।

अतः हम कह सकते हैं व्यक्तिगत पत्र के आधार पर व्यक्तिगत संबंध होते हैं।

जैसे – पिता पुत्र को लिखा गया पत्र, मित्र को लिखा गया पत्र, संबंधी को लिखा गया पत्र, परिजनों को लिखा गया पत्र या अपने माता-पिता को लिखा जाता है।

अनौपचारिक पत्र अपने माता-पिता, परिजनों, दोस्तों या सगे संबंधियों को लिखा जाता है। ये पत्र पूरी तरह से निजी या व्यक्तिगत होते हैं।

अनौपचारिक पत्र का प्रारूप (Informal Letter Format)

letter

अनौपचारिक पत्र के निम्नलिखित मुख्य अंग होते हैं:

पत्र लेखक का पता

अनौपचारिक पत्र लिखते वक्त सबसे पहले पत्र लेखक का पता लिखना होता है, जो पत्र के सबसे ऊपर लिखा जाता है।

ध्यान रहे यदि आप अनौपचारिक पत्र को परीक्षा के उद्देश्य से या टेस्ट के उद्देश्य से अपने परीक्षा भवन यदि विद्यालय के भवन में लिख रहे हैं तो वहां पर बस ‘परीक्षा भवन’ लिखना होता है।

वहां पर किसी भी प्रकार का ऐसा संकेत नहीं देना होता है, जिससे उस स्थान के बारे में कोई भी निजी जानकारी मिले।

दिनांक

दिनांक अनौपचारिक पत्र का दूसरा मुख्य अंग है। पत्र में सबसे ऊपर पत्र लेखक का पता लिखने के बाद उसके नीचे पत्र जिस दिन लिख जा रहा है, उसका दिनांक लिखना होता है।

संबोधन

दिनांक लिख लेने के बाद अनौपचारिक पत्र का तीसरा अंग संबोधन होता है। अनौपचारिक पत्र में विभिन्न प्रकार के संबोधन का प्रयोग किया जाता है, जो अपने से छोटे और बड़ों के लिए अलग-अलग होता है।

यह उन्हें प्यार और सम्मान व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है और संबोधन शब्दों से अनुमान लग पाता है कि पत्र, पत्र लेखक के उम्र से किसी छोटे व्यक्ति या फिर उम्र से बड़े व्यक्ति को लिखा जा रहा है। अनौपचारिक पत्र में निम्नलिखित संबोधन का प्रयोग किया जाता है:

प्रिय

आदरणीय

पूज्य

श्रद्धेय

शिष्टाचार शब्द

जब पत्र लिखने की शुरुआत की जाती है, जहां पर मुख्य जानकारी लिखना होता है। वहां पर उसकी शुरुआत पहले शिष्टाचार या अभिवादन के साथ किया जाता है, जो कुछ शब्द इस प्रकार हैं- नमस्कार, चरणस्पर्श, प्रणाम,वंदे, सस्नेह/सप्रेम नमस्ते, प्रसन्न रहो, चिरंजीवी रहो आदि।

विषयवस्तु

विषयवस्तु अनौपचारिक पत्र का मुख्य अंग होता है, जहां पर लेखक संप्रेषित को लिखी जाने वाली सभी जानकारी का वर्णन करता है।

जिस उद्देश्य से लेखक पत्र को लिख रहा है, वहां पर वह अपने सभी बातें और विचारो को व्यक्त करता है और इसी से लेखक की अभिव्यक्ति, क्षमता, उसके भाषा या कथ्य को प्रस्तुत करने के तरीके के बारे में पता चल पाता है।

औपचारिक और अनौपचारिक पत्र के बीच अंतर  

औपचारिक और अनौपचारिक पत्र दोनों ही पत्रों के प्रारूप होते हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं:

  • प्रयोजन: औपचारिक पत्र सामान्यतः सार्वजनिक या आधिकारिक उद्देश्यों के लिए लिखे जाते हैं, जबकि अनौपचारिक पत्र निजी और असामान्य उद्देश्यों के लिए उपयोग होते हैं।
  • पत्र के प्राप्तकर्ता: औपचारिक पत्र सामान्यतः संगठन, सरकारी विभाग, अधिकारी या अन्य आधिकारिक व्यक्ति को लिखे जाते हैं, जबकि अनौपचारिक पत्र व्यक्तिगत या परिचितों को लिखे जाते हैं।
  • भाषा और शैली: औपचारिक पत्र सामान्यतः आधिकारिक और तकनीकी शब्दों का प्रयोग करते हैं, जबकि अनौपचारिक पत्र सामान्य और प्राथमिक भाषा का प्रयोग करते हैं।
  • विशेष निर्देश: औपचारिक पत्र अक्सर निर्देशों और अनुशासनपूर्ण ढंग से लिखे जाते हैं, जबकि अनौपचारिक पत्र में निर्देश और नियम कम होते हैं।
  • प्रतिक्रिया: औपचारिक पत्रों पर आमतौर पर वापसी की एक औरिख होती है, जबकि अनौपचारिक पत्रों के लिए कोई निश्चित प्रतिक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है।

इन अंतरों के चलते, औपचारिक और अनौपचारिक पत्रों का प्रयोग विभिन्न संदर्भों में होता है और यह उनके प्रयोग करने के उद्देश्य और प्राप्तकर्ता के आधार पर निर्भर करता है।

समापन निर्देश या स्वनिर्देश

यह अंग पत्र का मुख्य विषय वस्तु जानकारी होने के बाद आता है। यह पत्र का अंतिम चरण होता है। यहाँ पत्र जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जाता है, उसके स्वास्थ्य संबंधित या उसके परिवार के संबंधित पूछताछ पर आदर सम्मान के भाव को व्यक्त किया जाता है।

उसके बाद अंत में सबसे दाईं तरफ पत्र लिखने वाले और पत्र जिस व्यक्ति को लिखा जा रहा है, उसके संबंधों के आधार पर संबंध सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। जैसे कि तुम्हारा अपना…., आपका स्नेहआकांक्षी…, आपका ही इत्यादि और फिर इसी के नीचे पत्र लेखक को अपना नाम लिखना होता है।

also read : Aupcharik Patra लेखन, विधियाँ और उदाहरण | औपचारिक पत्र कैसे लिखें?”

Anopcharik Patra लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें

request letter

अनौपचारिक पत्र भले ही अपने सगे-संबंधी या परिवार जनों को लिखा जा रहा है। फिर भी इस पत्र को लिखते वक्त भाषा का सरल और स्पष्ट होना जरूरी है ताकि पत्र भेजने वाले व्यक्ति को पत्र में लिखी गई जानकारी अच्छी तरीके से समझ में आएं।

पत्र को ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर ना लिखते हुए संक्षिप्त में लिखे। इस तरह कम शब्दों में अधिक जानकारी होनी चाहिए।

अनौपचारिक पत्र अपने सगे-संबंधियो और छोटों को लिखा जाता है। ऐसे में पत्र में एक दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना अच्छी तरीके से व्यक्त होनी चाहिए।

पत्र में पत्र लेखक की आयु, उसकी योग्यता, उसके पद इत्यादि जैसी जानकारी को ध्यान रखा जाना चाहिए।

औपचारिक पत्र को लिखते वक्त ध्यान रहे कि पत्र का आरंभ और अंत प्रभावशाली होने चाहिए।

पत्र में ज्यादा कांट छांट नहीं होना चाहिए, इससे पत्र गंदा दिखेगा। पत्र को स्वच्छ होना चाहिए।

जिस फॉर्मेट मैं हमने आपको ऊपर एक उदाहरण प्रदान कराया है, इसी प्रकार आपको अनौपचारिक पत्र लिखने हैं| पैटर्न यही रहेगा, अंदर के विचार आप अपने मन अनुसार बदल सकते हैं|

हम उम्मीद करते हैं की आपके लिए यह पोस्ट मददगार साबित होगी|

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