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Aupcharik patra कैसे लिखें

यहाँ इस लेख में आपको औपचारिक पत्रलेखन के कुछ उदारण उपलब्ध कराएँगे बहुत सारे छात्रो को परीक्षा के दौरान Aupcharik Patra in Hindi लिखने को मिलता है बहुत सारे छात्रो को Aupcharik Patra के बारे में सही तरह से जानकारी नहीं होती है।

इसलिए आज इस पोस्ट में अनौपचारिक पत्र लेखन के कुछ नमूने लिखे जो परीक्षाओ, पढाई के दौरान अक्सर लिखने को मिलते

Aupcharik patra किसे कहते हैं

परिभाषा

पदाधिकारियों, व्यापारियों, प्रधानाचार्य, पुस्तक विक्रेता, ग्राहक, सम्पादक आदि को लिखे गए पत्र औपचारिक पत्र कहलाते हैं। औपचारिक पत्र उन लोगों को लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा निजी या पारिवारिक सम्बन्ध नहीं होता। इसमें शालीन भाषा तथा शिष्ट शैली का प्रयोग किया जाता है। औपचारिक पत्र के अन्तर्गत शिकायती पत्र, व्यावसायिक पत्र, सम्पादकीय पत्र तथा आवेदन पत्र का वर्णन किया गया है।

जिस पत्र को हम सरकारी या प्राइवेट अधिकारियों या कार्यालय तक अपनी बात पहुंचाने, शिकायत करने, प्रार्थना या (मैडम, प्रिंसिपल के लिए, कॉलेज में अपने प्रोफेसर या डीन के लिए, नौकरी के लिए) आवेदन करने के लिए करते हैं उसे औपचारिक पत्र कहाँ जाता है, आज के समय में इमेल से लोग ज्यादा सन्देश भेजना पसंद करते है लेकिन औपचारिक पत्र का प्रभाव इमेल से ज्यदा प्रभाव होता है।

Aupcharik patra के भेद

जैसा की हमने पहले ही बताया था औपचारिक पत्र अपने स्कूल में अपनी मैडम, प्रिंसिपल के लिए, कॉलेज में अपने प्रोफेसर या डीन के लिए, नौकरी के लिए के लिए लिखा जाता है इसके अनेको प्रकार है जिसका नाम निम्नलिखित है।

प्रार्थना पत्र

कार्यालयी पत्र

व्यवसायिक पत्र

निःशुल्कता प्राप्ति हेतु महाविद्यालय/विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रधानाध्यापक को एक आवेदन-पत्र

सेवा में,
प्रधानाध्यापिका,
रघुनाथ बालिका उच्च विद्यालय, पटना

विषय : निःशुल्कता प्राप्ति हेतु आवेदन।

महोदया,

सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में 10वीं कक्षा की छात्रा हूँ। मैं आर्थिक दृष्टि से अत्यंत पिछड़े हुए परिवार की सदस्या हूँ। छह सदस्यों वाले परिवार की आय का एकमात्र स्रोत मेरे पिताजी की अल्प आय ही है। फलस्वरूप इस बड़े परिवार की आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए यह आय अपर्याप्त है। ऐसी स्थिति में मेरी पढ़ाई का खर्च एक अतिरिक्त भार हो गया है।मैंने अभी तक सभी परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त किए हैं। कई बार मैंने वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में पुरस्कार भी जीता है। मैं अपनी पढ़ाई जारी रखकर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती हूँ।

अतएव, आपसे प्रार्थना है कि विद्यालय की ओर से मुझे निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने की कृपा की जाए। इसके लिए मैं आपकी आभारी रहूंगी।

प्रधानाध्यापक को छुट्टी के लिए आवेदन-पत्र

सेवा में,
प्रधानाध्यापक महोदय,
मध्य विद्यालय, डुमरिया हाट। महाशय,

सविनय निवेदन है कि मेरे घर पर चाचाजी की शादी अगले सप्ताह होनेवाली है। अतः इस समारोह में शामिल होने के लिए मुझे भी वहाँ जाना है। इस कारण, में असमर्थ हूँ दिनांक से तक मैं विद्यालय आने

अतः श्रीमान् से प्रार्थना है कि मुझे उपर्युक्त अवधि की छुट्टी देने की कृपा की जाए। इस असीम कृपा के लिए मैं सदा श्रीमान् की आभारी रहूंगी।

अपने क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को पत्र

महाशय,

आपके समाचार-पत्र के माध्यम से प्रशासन का ध्यान इस क्षेत्र की बिगड़ती कानून-व्यवस्था की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ। आए दिन हमारे क्षेत्र में आपराधिक घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। चोरी, अपहरण और लूट तो आम बात है। अब तो दिनदहाड़े लोगों की हत्या तक कर दी जा रही है। ज्यादातर घटनाएँ पुलिस की जानकारी में हैं, परंतु पुलिस अकर्मण्य बनी हुई है। प्रशासन की निष्क्रियता के कारण अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है। इस क्षेत्र के नागरिक इन समस्याओं से त्रस्त है।

अतएव, आपसे निवेदन है कि अपने माध्यम से जिला प्रशासन को हमारी उक्त समस्याओं से अवगत कराकर इनका निदान कराने की कृपा करें। इसके लिए इस क्षेत्र के सभी नागरिक आपके आभारी होंगे।

Aupcharik patra के भाग (Aupcharik Patra In Hindi)

औपचारिक पत्र क्या है जानने के बाद हम हम ये समझते है की औपचारिक पत्र के कितने भाग है।

(1). पत्र भेजने वाले (प्रेषक) का पता — औपचारिक पत्र लिखते समय सर्वप्रथम पत्र भेजने वाले का पता लिखा जाता है। प्रेषक का पता बायीं ओर लिखा जाता है।

(2). तिथि/दिनांक — प्रेषक के पते के ठीक नीचे जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है उस दिन की दिनांक लिखी जाती है।

(3). पत्र प्राप्त करने वाले का पता — दिनांक के बाद जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसका पता, पद आदि का वर्णन किया जाता है।

(4). विषय — जिस सन्दर्भ में पत्र लिखा जा रहा है, उसे संक्षिप्त में विषय के रूप में लिखा जाता है।

(5). सम्बोधन — सभी औपचारिकताओं के बाद पत्र प्राप्तकर्ता के लिए महोदय, महोदया, मान्यवर आदि सम्बोधन के रूप में लिखा जाता है।

(6). विषय-वस्तु — सम्बोधन के पश्चात् पत्र की मूल विषय-वस्तु को लिखा जाता है। विषय-वस्तु में प्रत्येक बात के लिए अलग-अलग अनुच्छेदों का प्रयोग किया जाता है।

(7). अभिवादन के साथ समाप्ति — पत्र की समाप्ति पर पत्र प्राप्तकर्ता का अभिवादन किया जाता है।

(8). स्वनिर्देश/अभिनिवेदन — पत्र के अन्त में पत्र लिखने वाले का नाम आदि का वर्णन किया जाता है तथा आवश्यकता पड़ने पर हस्ताक्षर भी किए जाते हैं।

Aupcharik patra लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें

औपचारिक पत्र किसी भी अधिकारी या अफसर को लिखा जाता है। ऐसे में इन पत्रों को लिखते वक्त भाषा का प्रयोग बहुत ध्यानपूर्वक करना होता है, इसमें अनावश्यक बातों का उल्लेख नहीं करना चाहिए।

सीधे और सरल भाषा का उपयोग करें: औपचारिक पत्र में सीधी और सरल भाषा का प्रयोग करना चाहिए। जटिल वाक्यों या व्याकरणिक त्रुटियों से बचें, ताकि पत्र स्पष्टता से समझा जा सके।

सटीक और विशेष जानकारी दें: जब भी औपचारिक पत्र लिखें, तो सटीक और विशेष जानकारी प्रदान करने का प्रयास करें। अपने उद्देश्य को स्पष्ट करें और पत्र के अन्य विवरणों को भी समेटें।

विनम्रता और संवेदनशीलता दिखाएँ: औपचारिक पत्र लिखते समय, विनम्रता और संवेदनशीलता का पालन करें। आपका शब्दचयन और भावनाओं का व्यक्तिगतता से इस्तेमाल आपके पत्र को औपचारिक और अनुभवशाली बनाएगा।

इस प्रकार के पत्र में निवेदन संबंधित उद्देश्य भी शामिल होते हैं। ऐसे में पत्र के आरंभ और अंत प्रभावशाली होना जरूरी है ताकि जिस काम को करवाने के उद्देश्य से पत्र लिखा गया है, उस पर वह अधिकारी या कर्मचारी जल्दी कार्यवाही कर सके।

संक्षेप में रहें: अपने पत्र को संक्षेप में रखने का प्रयास करें। लम्बे और अप्रयुक्त वाक्यों की जगह पर संक्षिप्त और मुख्य बातें पर ध्यान केंद्रित करें।

शुद्धता और ग्रामर का ध्यान रखें: पत्र लिखते समय, शब्दों के उचित उपयोग, वाक्य संरचना, और व्याकरण पर ध्यान दें।

इसमें ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर बातों को नहीं लिखना चाहिए।

पत्र को हमेशा मार्जिन लाइन के साथ मिला कर लिखना चाहिए, इससे पत्र सुंदर और स्पष्ट दिखता है।

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औपचारिक पत्र कैसे लिखें? (प्रकार, उदाहरण और प्रारूप)

RAHUL SINGH TANWAR

आपने जीवन में कई ऐसे स्थितियों का सामना किया होगा जहां आपको औपचारिक तरीके से संवाद करने की जरूरत पड़ी होगी। इसके लिए औपचारिक पत्र (Aupcharik Patra) एक महत्वपूर्ण साधन है। औपचारिक पत्र लिखना सीखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आपके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ाता है। इस लेख में हम आपको औपचारिक पत्र कैसे लिखें, यह कितने प्रकार के होते है, औपचारिक पत्र लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसके अंग, औपचारिक पत्र के उदाहरण और प्रारूप के बारे में विस्तार से जानेंगे।

विषय सूची

औपचारिक पत्र क्या है? – Aupcharik Patra

आज के इंटरनेट युग में संचार का प्रावधान हमारे हाथों में है। सोशल मीडिया और ईमेल ने हमें आसानी से संवाद करने की सुविधा प्रदान की है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन्हीं तकनीकी माध्यमों के बावजूद औपचारिक पत्र का महत्व अब भी अद्वितीय है।

यह सरकारी या प्राइवेट अधिकारियों या कार्यालयों तक हमारी बात पहुंचाने, शिकायत करने, प्रार्थना या आवेदन करने का एक महत्वपूर्ण औजार है। औपचारिक पत्र का प्रभाव और महत्व ईमेल या अन्य व्यावसायिक संदेशों से अलग होता है।

औपचारिक पत्र की विशेषता यह है कि यह संदेश, सूचना और तथ्यों को अधिक महत्व देता है। इस पत्र की भाषा सहज और शिष्टता से परिपूर्ण होती है। आपको इसमें कम शब्दों में केवल अपने काम और समस्याओं को सुगमता से प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करना होता है।

औपचारिक पत्र के प्रकार

letter

औपचारिक पत्र को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं:

प्रार्थना पत्र – प्रार्थना पत्र निवेदन या प्रार्थना करने के लिए लिखा जाता है। इस प्रकार के पत्र में शिकायत, सुधार, आवेदन या अवकाश संबंधित उद्देश्य से लिखा जाता है। यह पत्र किसी भी सरकारी विभाग के अधिकारी से लेकर स्कूल के प्रधानाचार्य को लिखा जा सकता है।

कार्यालयी पत्र – कार्यालय पत्र किसी भी सरकारी अफसर या अधिकारी, स्कूल-कॉलेज के प्रधानाध्यापकों या प्रधानाचार्य को लिखा जाता है। कार्यालय पत्र में परिवहन विभाग, थाना प्रभारी, स्कूल प्रधानाचार्य, समाचार पत्र के संपादक, बिजली विभाग के अधिकारी, अध्यक्ष जैसे व्यक्ति को लिखा जाता है।

व्यवसायिक पत्र – व्यवसायिक पत्र का उद्देश्य पैसे संबंधित लेन-देन के मामले होते हैं। इसमें सामान को खरीदने, बेचने इत्यादि संबंधित जानकारियों के लिए पत्र लिखा जाता है। इन पत्र में दुकानदार, व्यापारी, कंपनी, प्रकाशक जैसे व्यवसायियों को लिखा जाता है।

औपचारिक पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें

औपचारिक पत्र किसी भी अधिकारी या अफसर को लिखा जाता है। ऐसे में इन पत्रों को लिखते वक्त भाषा का प्रयोग बहुत ध्यानपूर्वक करना होता है, इसमें अनावश्यक बातों का उल्लेख नहीं करना चाहिए।

सीधे और सरल भाषा का उपयोग करें: औपचारिक पत्र में सीधी और सरल भाषा का प्रयोग करना चाहिए। जटिल वाक्यों या व्याकरणिक त्रुटियों से बचें, ताकि पत्र स्पष्टता से समझा जा सके।

सटीक और विशेष जानकारी दें: जब भी औपचारिक पत्र लिखें, तो सटीक और विशेष जानकारी प्रदान करने का प्रयास करें। अपने उद्देश्य को स्पष्ट करें और पत्र के अन्य विवरणों को भी समेटें।

विनम्रता और संवेदनशीलता दिखाएँ: औपचारिक पत्र लिखते समय, विनम्रता और संवेदनशीलता का पालन करें। आपका शब्दचयन और भावनाओं का व्यक्तिगतता से इस्तेमाल आपके पत्र को औपचारिक और अनुभवशाली बनाएगा।

इस प्रकार के पत्र में निवेदन संबंधित उद्देश्य भी शामिल होते हैं। ऐसे में पत्र के आरंभ और अंत प्रभावशाली होना जरूरी है ताकि जिस काम को करवाने के उद्देश्य से पत्र लिखा गया है, उस पर वह अधिकारी या कर्मचारी जल्दी कार्यवाही कर सके।

संक्षेप में रहें: अपने पत्र को संक्षेप में रखने का प्रयास करें। लम्बे और अप्रयुक्त वाक्यों की जगह पर संक्षिप्त और मुख्य बातें पर ध्यान केंद्रित करें।

शुद्धता और ग्रामर का ध्यान रखें: पत्र लिखते समय, शब्दों के उचित उपयोग, वाक्य संरचना, और व्याकरण पर ध्यान दें।

इसमें ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर बातों को नहीं लिखना चाहिए।

पत्र को हमेशा मार्जिन लाइन के साथ मिला कर लिखना चाहिए, इससे पत्र सुंदर और स्पष्ट दिखता है।

औपचारिक पत्र का अंग

औपचारिक पत्र में मुख्य रूप से 7 अंग होते हैं:

write letter

सेवा में: पत्र की शुरुआत इस शब्द के साथ की जाती है, जो पत्र के ऊपरी बाएं किनारे में लिखा जाता है। यह शब्द प्रेषक की भावना और सेवा भाव को दर्शाता है।

पत्र लिखे जा रहे व्यक्ति/अधिकारी का नाम: पत्र के नीचे उस व्यक्ति का नाम लिखा जाता है, जिसे पत्र लिखा जा रहा है या जिस विभाग के अधिकारी को पत्र लिखा जा रहा है।

विषय: पत्र का विषय एक लाइन में लिखा जाता है। यह पत्र का उद्देश्य स्पष्ट करता है और पाठक को जानकारी देता है कि पत्र किस बारे में है।

संबोधन: पत्र की शुरुआती बातचीत में संबोधन का प्रयोग किया जाता है, जैसे महोदय, माननीय, आदि। यह संबोधन प्रेषक की आदर्श भावना को दर्शाता है।

मुख्य भाग: औपचारिक पत्र में मुख्य भाग दो अनुच्छेदों में लिखा जाता है। पहले अनुच्छेद में सविनय निवेदन या प्रार्थना की जाती है और दूसरे अनुच्छेद में उपयोगकर्ता का विनम्र निवेदन या अपेक्षा व्यक्त की जाती है।

नाम और हस्ताक्षर: पत्र के नीचे दाएं ओर पत्र लिखने वाले व्यक्ति का नाम और हस्ताक्षर दिए जाते हैं। यह भवदीय, प्रार्थी, आदि शब्दों का प्रयोग करके किया जाता है।

प्रेषक का पता और तारीख: पत्र के अंत में प्रेषक का पता, उसके शहर या मोहल्ले का नाम, और शहर के पिन कोड दिए जाते हैं। इसके बाद तारीख लिखी जाती है।

इस लेख में हमने औपचारिक पत्र लेखन के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में चर्चा की है। हमने पत्र के प्रकार, पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें और पत्र के अंगों के बारे में विस्तार से बताया है।

औपचारिक पत्र के प्रकारों के बारे में, पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातों की पहचान करके और पत्र के अंगों का समझने के बाद, आप अपने पत्र लेखन कौशल को सुधार सकते हैं। हमने उदाहरण भी दिए हैं जो आपको वास्तविक स्थितियों में औपचारिक पत्र लिखने का अभ्यास करने में मदद करेंगे।

औपचारिक पत्र लेखन एक महत्वपूर्ण कौशल है और यह आपको व्यावसायिक और सामाजिक संबद्धताओं में सफलता के द्वार तक पहुंचाने में मदद करेगा। इसलिए, आपको अपनी पत्र लेखन क्षमता को निरंतर सुधारते रहना चाहिए और सावधानीपूर्वक संरचित, स्पष्ट, और प्रोफेशनल पत्र लिखने का प्रयास करना चाहिए।

यह लेख आपको कैसा लगा कृपया नीचे कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं।

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