HomeOthergeneral knowledgeBulb Ka Aavishkar - बल्ब का आविष्कार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

Bulb Ka Aavishkar – बल्ब का आविष्कार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

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बल्ब का आविष्कार इंग्लैंड के महान वैज्ञानिक और आविष्कारक थॉमस अल्वा एडिसन ने किया था | 1879, में फिलामेंट बल्ब का पेशेवर रूप से प्रदर्शन करने में सफल हुए थे | इससे पहले भी कुछ वैज्ञानिक और आविष्कारक इस दिशा में काम कर चुके थे | लेकिन एडिसन के आविष्कार ने बल्ब को वास्तविक उपयोगी बना दिया | इससे बिजली का प्रयोग घरों में, ऑफिसों में , फैक्ट्रियों में, और विभिन्न स्थानों में आसानी से होने लगा | आविष्कार बिजली व्यवस्था को एक नई दिशा में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन बल्ब को बनाने में हजार बार अ सफल हुए थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी | और आखिरकार उस वक्त आविष्कार कर दिखाया जिससे दुनिया जगमग आ रही है |

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बल्ब को ताप दीप्त लेंप या इनकेडिसेंट लेंप या शीश बत्ती भी कहते हैं भी कहते हैं।

बल्ब के अंदर ऑर्गन के अलावा हिलियम नियॉन, नाइट्रोजन, और क्रिप्टन जैसे गेस का भी यूज़ होता है | बल्बों में इस्तेमाल होने वाला ऑर्गन समय तीन विभिन्न गैसों का अक्रिय ग्रह भी कहते हैं | अक्रिय गैस होने कहते हैं जो किसी तरह के रासायनिक क्रियाओं में भाग नहीं लेते हैं |

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बल्ब में टंगस्टन धातु का उपयोग किया जाता है | उसको फिलामेंट बनाने के लिए उपयोग किया जाता है | यह एक बहुत ही उच्च गलनांक वाली एक मिश्र धातु है |

बल्ब में भी बहुत से प्रकार होते हैं | आवासीय उपयोग के लिए चार अलग-अलग प्रकार के प्रकाश बल उपलब्ध है | ताप दीप्ति, हैलोजन, फ्लोरोसेंट , और एलईडी , इन किस्मों में उत्सर्जित प्रकाश की गुणवत्ता उपयोग की गई ऊर्जा की मात्रा और बहुत कुछ सहित विभिन्न विशेषता है |

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बल्ब के अंदर एक पतली सी तार भी होती है | उसको मैग्नीशियम के उपयोग से बनाया जाता है क्योंकि जब यह जलता है तो यह चमकदार सफेद रोशनी बनता है फोटोग्राफर अंधेरे में काम करने के लिए उसे सफेद रोशनी का उपयोग करते हैं मैग्नीशियम एक क्षारया धातु है जिसकी परमाणु संख्या 12 है |

बल्ब का आविष्कार जो वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन ने किया उसके हिसाब से दुनिया भर में उसका नाम प्रसिद्ध हो गया |

Bulb ka avishkar

बल्कि कुछ नई बातें जो आपको जानने में और नॉलेज लेने में बहुत अच्छा लगेगा |

इलेक्ट्रॉनिक बल्ब एक नई प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक बल्ब विकसित की गई है |™जो अधिक ऊर्जा की बचत के साथ अधिक दीप्त उत्पन्न करती है | इसमें प्रगतिशील इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होती है जो स्वयं संचालित रूप से प्रकाश समायोजित करता है |

यह बल्ब के अंदर इलेक्ट्रॉनिक सेंसर भी लगा हुआ होता है | जो नए बुद्धिमत्ता के साथ संवेदनशील इलेक्ट्रिक सेंसस होते हैं | जो प्रकाश की मात्रा और वातावरण के तत्व के साथ संबंध स्थापित करते हैं | और स्वयं संचालित रूप से बल्ब की रोशनी को नियंत्रित करते हैं |

सोलर पावर बल्ब भी मार्केट मैं आ गया है | यह बल्ब सूर्य की ऊर्जा से अपनी आवश्यकता को पूरा करते हैं | सोलर पैनल के उपयोग से इन बल्ब को चार्ज किया जाता है | और रात्रि में उनका उपयोग होता है |

यह ऊर्जा की बचत के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी बेहतर है

एक और शेडिंग बल भी होते हैं | इसमें एक दिमागी विकल्प दिया गया है | जो उपयोगकर्ताओं को अलग-अलग रंगों और रोशनी के साथ उपलब्ध कराते हैं | इस विकल्प का उपयोग रोमांचकारी अंदाज में घरों और आवासीय क्षेत्रों की सजावट में किया जा सकता है |

अंत में बल्ब का आविष्कार दुनिया के सबसे बेहतरीन आविष्कार में से एक है|

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