परिचय:
कहानियाँ न केवल हमें मनोरंजन देती हैं बल्कि हमारे जीवन में कई महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती हैं। आज की कहानी है “दो बकरियों की कहानी”, जो हमें समझदारी, धैर्य, और सहयोग की सीख देती है। इस कहानी के माध्यम से हमें यह समझ में आता है कि अगर हम अहंकार और झगड़े से दूर रहें, तो कई समस्याओं से बच सकते हैं। आइए जानते हैं इस अद्भुत कहानी को विस्तार से।
कहानी:
बहुत समय पहले, एक जंगल में दो बकरियाँ रहती थीं। दोनों बकरियाँ अलग-अलग जगहों पर घास चरती थीं, लेकिन उन दोनों का घर एक ही जंगल में था। जंगल के बीच से एक नदी बहती थी, और उस नदी के ऊपर एक पतला सा लकड़ी का पुल बना हुआ था। पुल इतना संकरा था कि एक समय में केवल एक ही बकरी उस पर से गुजर सकती थी।
दोनों बकरियों की भेंट
एक दिन दोनों बकरियाँ, अपने-अपने रास्तों से घास चरने के बाद, उस पतले पुल पर आमने-सामने आ गईं। दोनों ने एक-दूसरे को देखा, और पुल पर से पहले गुजरने की जिद करने लगीं। एक बकरी ने कहा, “तुम मुझे पहले जाने दो, उसके बाद तुम पुल पार कर लेना।”
दूसरी बकरी ने जवाब दिया, “नहीं, पहले मैं पुल पार करूंगी, और उसके बाद तुम आना।”
झगड़ा और अहंकार
अब दोनों बकरियों के बीच झगड़ा शुरू हो गया। दोनों में से कोई भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थी। धीरे-धीरे उनकी तू-तू मैं-मैं बढ़ती चली गई। किसी ने भी यह नहीं सोचा कि पुल कितना संकरा है, और वहां झगड़ा करना खतरनाक हो सकता है।
दोनों का नुकसान
अहंकार में अंधी हो चुकी दोनों बकरियाँ लड़ते-लड़ते अचानक से अपना संतुलन खो बैठीं। देखते ही देखते, दोनों बकरियाँ पुल से नीचे नदी में गिर गईं। नदी का बहाव तेज था, और पानी भी गहरा था। किसी के पास बचने का मौका नहीं था, और कुछ ही देर में दोनों बकरियाँ नदी में बह गईं।
कहानी से सीख:
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि “अहंकार और झगड़ा केवल नुकसान पहुंचाते हैं।” अगर दोनों बकरियों ने धैर्य और समझदारी से काम लिया होता, तो वे अपनी जान बचा सकती थीं। अहंकार और जल्दबाजी के कारण वे दोनों अपने जीवन से हाथ धो बैठीं। इसलिए, समझदारी, सहयोग, और धैर्य का रास्ता चुनना ही सही होता है।
कहानी का महत्व:
“दो बकरियों की कहानी” हमें यह सिखाती है कि हमें किसी भी स्थिति में अहंकार नहीं करना चाहिए। जब भी किसी समस्या का सामना हो, तो समझदारी और धैर्य से काम लेना चाहिए। यह कहानी बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए एक महत्वपूर्ण सीख देती है कि झगड़े और जिद से कोई फायदा नहीं होता। अगर दोनों बकरियों ने आपस में मिलकर समझौता कर लिया होता, तो वे दोनों सुरक्षित रूप से पुल पार कर सकती थीं।
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