भारत जनसंख्या के दृष्टिकोण से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। वहीं पर शिक्षा के मामले में भी सबसे बड़ी अशिक्षित जनसख्या भी यहीं निवास करती है । primary ka master बहुत ही महत्त्व रखता हे बच्चो की शिक्षा में | देश ने जहाँ आर्थिक विकास किया वही शिक्षा के मामले में भी बहुत प्रगति की।
प्राथमिक शिक्षा (primary ka master) हर बच्चे का सबसे महत्वपूर्ण और बुनियादी अधिकार है। यह बालक के चरित्र निर्माण की पहली सीढ़ी है। प्राथमिक शिक्षा की भूमिका बच्चे की व्यापक आधारित शिक्षा सुनिश्चित करना है। इसमें सामाजिक, संज्ञानात्मक, सांस्कृतिक, भावनात्मक और शारीरिक कौशल का विकास शामिल है ।
प्राथमिक शब्द का सामान्य अर्थ है – प्रारम्भिक या मुख्य । इस प्रकार प्राथमिक शिक्षा का अर्थ हुआ – प्रारम्भिक शिक्षा या मुख्य शिक्षा। बच्चों को प्रारम्भ में दी जाने वाली शिक्षा को प्राथमिक शिक्षा कहते हैं।
प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्य
1. बच्चों को स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों के बारे में जानकारी देना।
2. बच्चों को भाषा तथा पर्यावरण का ज्ञान कराना।
3. बच्चों को शारीरिक श्रम के अवसर देना, तथा उनसे होने वाले लाभों के बारे में बताना।
4. बच्चों में सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों का विकास करना।
5. बच्चों का नैतिक एवं चारित्रिक विकास करना।
6. बच्चों को एक-दूसरे का सम्मान करना सीखाना एवं सर्वधर्म समभाव की भावना जाग्रत करना।
7. बच्चों में सांस्कृतिक सहिष्णुता का विकास करना एवं उन्हें प्रेम, सहानुभूति और सहयोग से
कार्य करने की ओर प्रेरित करना।

भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020), जिसे 29 जुलाई 2020 को भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था, भारत की नई शिक्षा प्रणाली के दृष्टिकोण को रेखांकित करती है। नई नीति शिक्षा पर पिछली राष्ट्रीय नीति, 1986 की जगह लेती है। नीति ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए एक व्यापक ढांचा है। नीति का उद्देश्य 2040 तक भारत की शिक्षा प्रणाली को बदलना है।
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