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केवाईसी और बैंकिंग में KYC: पूरी जानकारी

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आज इस पोस्ट में हम आपको kyc के फुल फॉर्म, बैंकिंग में kyc, अर्थ और kyc डॉक्यूमेंट से संबंधित पूरी जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं.

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KYC Full Form:- KYC (नो योर कस्टमर) से तात्पर्य बैंकों, बीमा कंपनियों और अन्य संस्थानों द्वारा अपने ग्राहकों के साथ लेनदेन से पहले या उसके दौरान सभी ग्राहकों की पहचान और पते को सत्यापित करने की प्रक्रिया से है। आरबीआई द्वारा सभी बैंकों, वित्तीय संस्थानों और वित्तीय लेनदेन करने वाली डिजिटल भुगतान कंपनियों के लिए KYC अनिवार्य कर दिया गया है। आइए KYC क्या है और आवश्यक KYC दस्तावेज क्या हैं, इस पर करीब से नज़र डालते हैं।

केवाईसी का अर्थ क्या होता है:-

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CYC

मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी जैसी अवैध गतिविधियां वित्तीय लेनदेन को जोखिम भरा बना सकती हैं, यही वजह है कि 2002 में भारत में KYC की शुरुआत की गई थी। KYC का मतलब ‘अपने ग्राहक को जानो’ है। KYC किसी ग्राहक को किसी भी सेवा का उपयोग करने की अनुमति देने से पहले उसकी पहचान और पते से संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित और सत्यापित करने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है। KYC सत्यापन पूरा होने के बाद सेंट्रल KYC रिकॉर्ड्स रजिस्ट्री एक विशिष्ट संख्या/कोड प्रदान करती है जिसे अपने ग्राहक/ग्राहक पहचानकर्ता के रूप में जाना जाता है। 2004 में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों, वित्तीय संस्थानों और बिचौलियों के लिए सभी पुराने और नए ग्राहकों का KYC सत्यापन अनिवार्य कर दिया। ऐसा करने में, RBI ने सुनिश्चित किया कि सभी लेनदेन ग्राहक की पहचान के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन के बाद किए जाते हैं, जो धोखाधड़ी की रोकथाम में सहायता करेगा। अन्य नियामक निकायों ने जल्द ही इसका पालन किया, जिससे सभी ग्राहकों के लिए KYC सत्यापन अनिवार्य हो गया

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केवाईसी बैंकिंग क्या है -:

बैंकिंग में KYC ग्राहक की पहचान स्थापित करने के लिए दस्तावेजों को सत्यापित करने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करके कि लेन-देन प्रामाणिक हैं, मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय धोखाधड़ी जैसे कदाचार को कम करना है। आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी बैंकों, वित्तीय संस्थानों और बिचौलियों को सेवाएं प्रदान करने से पहले ग्राहकों का KYC सत्यापन करना चाहिए। इस संबंध में, KYC दस्तावेजों की सूची, जो KYC सत्यापन के लिए आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेजों को सूचीबद्ध करती है, महत्वपूर्ण हो जाती है। 2002 के मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत KYC अनुपालन भी एक आवश्यकता है।

केवाईसी की जरूरत क्या है -:

बचत बैंक खाता खोलने, सावधि जमा (FD) और तीसरे पक्ष के वॉलेट लाभों का लाभ लेने और म्यूचुअल फंड लेनदेन शुरू करने सहित किसी भी प्रकार के वित्तीय लेनदेन के संचालन के लिए KYC प्रक्रिया को पूरा करना आवश्यक है। वास्तव में, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के दिशानिर्देशों के अनुसार, अब डीमैट खाता या स्टॉक ट्रेडिंग खाता खोलने के साथ-साथ परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों और मध्यस्थों की सेवाओं का उपयोग करने के लिए पूर्ण KYC की आवश्यकता है।

केवाईसी व्यक्ति विशेष के लिए कहां-कहां जरूरत होती है -:

पासपोर्ट (Passport)
मतदाता पहचान पत्र (Voter’s Identity Card)
ड्राइविंग लाइसेंस(Driving Licence)
आधार कार्ड(Aadhaar Card)
नरेगा कार्ड(NREGA Card)
पैन कार्ड(PAN Card)

Unique Identification Authority of India (UIDAI) ने आधार कार्ड को KYC की वेरिफिकेशन के लिए एक important document घोषित किया है। लेकिन आप आपने बिजली के bill, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड इत्यादि से भी वेरिफिकेशन करवा सकते है।

KYC के दो प्रकार होते हैं:

EKYC

CKYC

EKYC Full Form (Long Form): “Electronic Know Your Customer” यह KYC की प्रक्रिया का Digital रूप हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें काम कागज़ की बजाय Electronic Devices की सहयता से होता है। इसमें आप बायोमेट्रिक डिवाइस पर अपना अंगूठा रखते है और आपका पूरा डाटा है जिससे आपका पूरा डाटा सामने आ जाता है | हमारे भारत में aadhar eKYC काफी प्रचलित प्रक्रिया हैं।

ekyc

यह एक paperless process है जिसमें आपका पहचान (ID proof), पता (Address proof) व अन्य चीज़ें digitally प्रमाणित हो जाती है।

आधार ईकेवाईसी (Aadhaar ekyc) एक कागज रहित (paperless) केवाईसी प्रकिया होती है। यह आपकी पहचान (ID proof), पता (Address proof) व अन्य विवरणों का प्रमाण इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्रमाणित (Authentication) कर देती है। इसमें Biometrics की प्रकिया सबसे प्रचलित और आसान तरीका है फिंगर प्रिंट। आज कल काफी सरकारी और निजी कंपनियां जैसे मोबाइल companies, financial institute banks और (Regulatory Institutions) Aadhaar eKYC का प्रयोग भी करने लगे हैं।

CKYC full from -:

web p shope

केवाईसी देश के लगभग सभी प्रमुख संस्‍थानों के द्धारा कराई जाती है। लेकिन केंद्रीय स्‍तर पर होने वाली केवाईसी प्रक्रिया को CKYC यानि Central KYC कहते हैं।

Central KYC का प्रयोग बीमा कंपनियों, म्‍यूचुअल फंडस कंपनियों तथा एनबीएफसी आदि के द्धारा किया जाता है।
Central KYC का रजिस्‍ट्रेशन चूंकि केंद्रीय स्‍तर पर किया जाता है। इसलिये देश के सभी नागरिक जो केंद्रीय स्‍तर पर अपने वित्‍तीय लेन देन करते हैं। उनका रिकार्ड केंद्रीय स्‍तर पर संभाल कर रखा जाता है। वित्‍तीय संस्‍थान इस Records की Online उपलब्‍धता के चलते किसी भी ग्राहक की पहचान जब चाहे तब कर सकते हैं।

CKYC or ekyc may anter -:

eKYC में 50,000 रूपए की सीमा तय होती है। इसका मतलब ये है की अगर आप 50,000 रूपए तक का निवेश कर रहे हैं तो आप eKYC के द्वारा वेरिफिकेशन करवा सकते हैं। eKYC गृहणियों, विद्यार्थियों या ऐसे लोग जो 50,000 तक का निवेश करना चाहते हैं, के लिए उपयुक्त होती है। जबकि cKYC एक सम्पूर्ण KYC होती है। अर्थात एक बार आपने अपनी cKYC वेरिफिकेशन करवा लिया तो फिर आप को कोई भी निवेश करते समय दोबारा KYC verification नहीं करवाना पड़ेगा। इसमें कोई upper limit amount की तय सीमा नहीं होती है।

आशा करती हूँ की मैंने KYC से जुडी सारी जानकारी जैसे की KYC, eKYC, cKYC Full Form in Hindi, eKYC और cKYC में क्या अंतर होता है, KYC का banking में क्या इस्तेमाल होता है आपको इस लेख में देने की कोशिश करी है।

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