नवरात्रि, जो हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, नौ रातों का एक पर्व है जिसे दुर्गा माता के नौ रूपों को समर्पित किया जाता है। नवरात्रि का तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा के लिए विशेष होता है। देवी चंद्रघंटा को आध्यात्मिक और आंतरिक शक्ति की देवी कहा जाता है और उनकी पूजा से जीवन की समस्याओं और राक्षसों से मुक्ति मिलती है।
देवी चंद्रघंटा का स्वरूप और प्रतीक
देवी चंद्रघंटा के स्वरूप को समझने के लिए हमें उनके मुख्य गुणों और प्रतीकों को जानना होगा:
- माथे पर अर्धचंद्र: देवी चंद्रघंटा के माथे पर भगवान शिव के अर्धचंद्र का प्रतीक होता है, जिससे उन्हें यह नाम प्राप्त हुआ है।
- दस भुजाएं: देवी चंद्रघंटा की दस भुजाएं होती हैं, जो विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं। यह उनके शक्तिशाली और युद्ध के लिए तत्पर होने का प्रतीक है।
- तीन आंखें: देवी की तीन आंखें हैं, जो त्रिकालदर्शी होने का प्रतीक हैं और उनके ज्ञान और शक्ति को दर्शाती हैं।
- स्वर्णिम रंग: उनका रंग स्वर्णिम होता है, जो उनकी दिव्यता और पवित्रता को दर्शाता है।
- घंटियों की माला: देवी चंद्रघंटा के गले में घंटियों की माला होती है, जो राक्षसों को भयभीत करती है।
- बाघ की सवारी: वह एक बाघ पर सवार होती हैं, जो उनकी साहस और शक्ति का प्रतीक है।
देवी चंद्रघंटा की कथा
देवी चंद्रघंटा की कथा में यह कहा गया है कि जब देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह किया, तब भगवान शिव ने उनके माथे पर चंदन से बने चूर्ण को सुशोभित किया। यह चंदन चूर्ण उनके माथे पर अर्धचंद्र के रूप में दिखाई दिया, जिसके कारण उन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। देवी चंद्रघंटा का यह स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली और साहसी माना जाता है, जो भक्तों की रक्षा करता है और उन्हें शांति और सुख प्रदान करता है।
पूजा विधि
नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। पूजा की विधि निम्नलिखित है:
- संकल्प: सबसे पहले पूजा का संकल्प लें।
- आवाहन: देवी चंद्रघंटा का आवाहन करें और उन्हें पूजा स्थल पर विराजमान करें।
- आसन: देवी को आसन अर्पित करें।
- पाद्य, अध्र्य, आचमन: देवी के चरण धोकर, जल अर्पित करें और आचमन कराएं।
- स्नान: देवी को गंगाजल या पवित्र जल से स्नान कराएं।
- वस्त्र: देवी को नए वस्त्र अर्पित करें।
- सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर: देवी को सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी और सिंदूर अर्पित करें।
- दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार: देवी को दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण और पुष्प-हार अर्पित करें।
- सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप: देवी को सुगंधित द्रव्य, धूप और दीप अर्पित करें।
- नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा: देवी को नैवेद्य, फल, पान और दक्षिणा अर्पित करें।
- आरती: देवी की आरती करें और मंत्रपुष्पांजलि अर्पित करें।
- प्रसाद वितरण: अंत में प्रसाद वितरण करें और पूजा संपन्न करें।
मां चंद्रघंटा को अर्पण
मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं और इसी का दान भी करें। ऐसा करने से मां खुश होती हैं और सभी दुखों का नाश करती हैं। देवी चंद्रघंटा की कृपा से उनके भक्तों को शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
मां चंद्रघंटा की आरती
मस्तक पर है अर्ध चन्द्र, मंद मंद मुस्कान।
दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण॥
सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके सवर्ण शरीर।
करती विपदा शान्ति हरे भक्त की पीर॥
मधुर वाणी को बोल कर सब को देती ग्यान।
जितने देवी देवता सभी करें सम्मान॥
अपने शांत सवभाव से सबका करती ध्यान।
भव सागर में फसा हूँ मैं, करो मेरा कल्याण॥
नवरात्रों की माँ, कृपा कर दो माँ।
जय माँ चंद्रघंटा, जय माँ चंद्रघंटा॥
मां चंद्रघंटा मंत्र
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
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नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा का महत्व क्या है?
- नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो आध्यात्मिक और आंतरिक शक्ति की देवी मानी जाती हैं। उनकी पूजा से जीवन की समस्याओं और राक्षसों से मुक्ति मिलती है।
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देवी चंद्रघंटा का स्वरूप कैसा होता है?
- देवी चंद्रघंटा के दस भुजाएं, तीन आंखें, स्वर्णिम रंग, माथे पर अर्धचंद्र और बाघ की सवारी होती है। उनके गले में घंटियों की माला होती है।
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मां चंद्रघंटा को किस प्रकार के भोग लगाए जाते हैं?
- मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाया जाता है।
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क्या देवी चंद्रघंटा की पूजा से सभी दुखों का नाश होता है?
- हां, देवी चंद्रघंटा की पूजा से सभी दुखों का नाश होता है और जीवन में शांति और सुख प्राप्त होता है।
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नवरात्रि के दौरान मां चंद्रघंटा की पूजा कैसे की जाती है?
- मां चंद्रघंटा की पूजा में आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती और प्रसाद वितरण शामिल होते हैं।
मां चंद्रघंटा की विशेषताएं और लाभ
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से अनेक लाभ होते हैं। उनकी पूजा से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। मां चंद्रघंटा की कृपा से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- साहस और शक्ति: देवी चंद्रघंटा की पूजा से भक्तों को साहस और शक्ति मिलती है, जिससे वे जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं।
- शांति और सुख: देवी की कृपा से जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
- रक्षा और सुरक्षा: मां चंद्रघंटा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें सभी प्रकार के संकटों से सुरक्षित रखती हैं।
- आध्यात्मिक जागरूकता: उनकी पूजा से भक्तों में आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है और उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के तीसरे दिन के विशेष अनुष्ठान
नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा के साथ-साथ कुछ विशेष अनुष्ठान भी किए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख अनुष्ठान निम्नलिखित हैं:
- दुर्गा सप्तशती पाठ: इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष रूप से लाभकारी होता है।
- कन्या पूजन: कुछ लोग इस दिन कन्या पूजन करते हैं और नौ कन्याओं को भोजन कराते हैं।
- हवन: देवी चंद्रघंटा की कृपा प्राप्ति के लिए हवन करना भी शुभ माना जाता है।
- विशेष उपवास: भक्त इस दिन विशेष उपवास रखते हैं और मां चंद्रघंटा की कृपा प्राप्ति के लिए व्रत करते हैं।
नवरात्रि के तीसरे दिन के अन्य महत्वपूर्ण पहलू
नवरात्रि के तीसरे दिन के अन्य महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित हैं:
- आध्यात्मिक साधना: इस दिन भक्त विशेष आध्यात्मिक साधना करते हैं और ध्यान-मंत्र जप करते हैं।
- भजन-कीर्तन: मां चंद्रघंटा की महिमा का गुणगान करने के लिए भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
- दान-पुण्य: इस दिन दान-पुण्य करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। विशेषकर दूध और उससे बनी चीजों का दान किया जाता है।
निष्कर्ष
नवरात्रि का तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा के लिए विशेष होता है। उनकी पूजा से आध्यात्मिक और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति होती है। देवी चंद्रघंटा का स्वरूप, उनकी कथा, पूजा विधि, आरती, मंत्र और विशेष अनुष्ठान के माध्यम से भक्तों को विशेष लाभ होता है। उनकी कृपा से सभी दुखों का नाश होता है और जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति होती है। नवरात्रि का यह दिन भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और पुण्यकारी होता है। देवी चंद्रघंटा की पूजा से भक्तों को साहस, शक्ति, शांति और सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन की पूजा विधि, आरती, मंत्र और विशेष अनुष्ठान का पालन करके भक्त देवी चंद्रघंटा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।
नवरात्रि के अन्य दिन
नवरात्रि के प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है। पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा होती है, उसके बाद:
- Navratri 1st Day – पहले दिन: देवी शैलपुत्री की पूजा
- Navratri 2nd Day – दूसरे दिन: देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा
- Navratri 4th Day – चौथे दिन: देवी कुष्मांडा की पूजा
- 5th Day of Navratri – पांचवे दिन: देवी स्कंदमाता की पूजा
- 6th Day of Navratri – छठे दिन: देवी कात्यायनी की पूजा
- 7th Day of Navratri – सातवे दिन: देवी कालरात्रि की पूजा
- 8th Day of Navratri – आठवे दिन: देवी महागौरी की पूजा
- 9th Day of Navratri – नौवें दिन: देवी सिद्धिदात्री की पूजा
इन सभी दिनों की पूजा विधि, मंत्र और आरती अलग-अलग होती हैं, और इनकी पूजा करने से अलग-अलग फल की प्राप्ति होती है।