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Navratri First Day : नवरात्रि के पहले दिन की विशेषता: जानिए देवी शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र और आरती

नवरात्रि एक प्रमुख हिंदू पर्व है जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का पर्व है। नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है। संस्कृत में, शैलपुत्री दो शब्दों का एक मिश्रण है- ‘शैल’ जिसका अर्थ है पर्वत और ‘पुत्री’ जिसका अर्थ है बेटी। देवी शैलपुत्री अपने दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल धारण करती हैं। देवी सती ने आत्मदाह के बाद हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया, इसलिए इसका नाम शैलपुत्री पड़ा।

देवी शैलपुत्री की कथा

ऐसा कहा जाता है कि देवी शैलपुत्री अपने पूर्व जन्म में दक्ष की पुत्री थीं। एक बार दक्ष ने शिव को आमंत्रित किए बिना एक बड़ा यज्ञ किया। सती, शिव की पत्नी होने के नाते, पवित्र समारोह में भाग लेने के लिए वहाँ आई थीं। दक्ष ने शिव का अपमान किया। सती अपने पिता के लंबे समय तक अपने पति का अपमान करने के बारे में नहीं सोच सकती थी, और उन्होंने खुद को यज्ञ की आग में जला दिया। एक अन्य जन्म में, वह हिमालय की बेटी बनी और हेमावती के रूप में शिव से विवाह किया।

पूजा विधि

नवरात्रि के पहले दिन की शुरुआत कलश स्थापन या घटस्थापना से होती है। पूजा देवी शैलपुत्री की मूर्ति लेने और गंगा नदी के पवित्र जल से धोने से शुरू होती है। फिर मूर्ति या सिर्फ देवी की तस्वीर स्थापित करें और मिठाई चढ़ाएं। फिर एक कलश के ऊपर आम के पत्ते और नारियल रख दें। देवी की पूजा करने के लिए एक घी का दीया जलाएं। मंत्र का जाप करें और देवी को सफेद फूल की माला अर्पित करें। देवी को प्रसन्न करने के लिए खीर या कोई सफेद रंग का खाद्य पदार्थ तैयार करें। नवरात्रि के प्रत्येक दिन दुर्गा सप्तशती का एक अध्याय पढ़ा जाता है जो घर में सकारात्मकता लाता है। पूजा विधि आरती के साथ पूरी करें।

पूजा सामग्री:

  • देवी शैलपुत्री की मूर्ति या तस्वीर
  • गंगा जल
  • मिठाई
  • कलश
  • आम के पत्ते
  • नारियल
  • घी का दीया
  • सफेद फूल की माला
  • खीर या कोई सफेद रंग का खाद्य पदार्थ

उपवास और साधना

नवरात्रि के पूरे नौ दिनों में कई भक्त उपवास रखते हैं। हालाँकि, आप पवित्र नौ दिनों के पहले और अंतिम दिन भी उपवास रख सकते हैं। उपवास के दौरान, लोग केवल फल, दूध और अन्य सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। यह माना जाता है कि उपवास करने से शरीर और मन की शुद्धि होती है, जिससे देवी की कृपा प्राप्त होती है।

उपवास के लाभ:

  1. शारीरिक शुद्धि: उपवास के दौरान सात्विक भोजन करने से शरीर के विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं।
  2. मानसिक शांति: उपवास और पूजा से मन शांत और स्थिर होता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: उपवास और साधना से आत्मा की शुद्धि होती है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।

माँ शैलपुत्री मंत्र और स्तोत्र

माँ शैलपुत्री की पूजा में मंत्र और स्तोत्र का महत्वपूर्ण स्थान है।

मंत्र:

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

स्तोत्र:

वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

माँ शैलपुत्री की आरती

शैलपुत्री माँ बैल असवार। करें देवता जय जय कार॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने न जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावें। जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू। दया करें धनवान करें तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती जिसने तेरी उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥
घी का सुन्दर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें। प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे। शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो। चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥

नवरात्रि के पहले दिन के महत्व

चंद्रमा को देवी शैलपुत्री द्वारा शासित माना जाता है। चंद्रमा को भाग्य का स्वामी माना जाता है, इसलिए नवरात्रि के पहले दिन देवी की पूजा करने से भाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है। यह दिन नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

FAQs

प्रश्न 1: नवरात्रि के पहले दिन की पूजा में क्या-क्या आवश्यक है? उत्तर: नवरात्रि के पहले दिन की पूजा में देवी शैलपुत्री की मूर्ति या तस्वीर, गंगा जल, मिठाई, कलश, आम के पत्ते, नारियल, घी का दीया, सफेद फूल की माला, खीर या कोई सफेद रंग का खाद्य पदार्थ, और दुर्गा सप्तशती का पाठ आवश्यक है।

प्रश्न 2: देवी शैलपुत्री की पूजा करने से क्या लाभ होता है? उत्तर: देवी शैलपुत्री की पूजा करने से भाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह दिन नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है।

प्रश्न 3: नवरात्रि के पहले दिन उपवास कैसे रखा जाता है? उत्तर: नवरात्रि के पहले दिन उपवास रखते समय केवल फल, दूध और अन्य सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है। यह उपवास शरीर और मन की शुद्धि के लिए होता है।

प्रश्न 4: माँ शैलपुत्री का मंत्र क्या है? उत्तर: माँ शैलपुत्री का मंत्र है: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

प्रश्न 5: देवी शैलपुत्री की आरती कैसे की जाती है? उत्तर: देवी शैलपुत्री की आरती घी के दीपक से की जाती है और उन्हें गोला गरी का भोग लगाया जाता है। श्रद्धा भाव से मंत्र जाप कर प्रेम सहित शीश झुकाया जाता है।

नवरात्रि के पहले दिन की विशेषताएँ

नवरात्रि के पहले दिन की पूजा के लिए कुछ विशेष विधियाँ और नियम होते हैं जो इस दिन को और भी पवित्र बनाते हैं। यहाँ कुछ विशेषताएँ दी गई हैं:

  1. कलश स्थापना: यह नवरात्रि के पहले दिन की सबसे महत्वपूर्ण विधि है। एक कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते और नारियल रखकर कलश स्थापना की जाती है। इसे घर के पूजा स्थल में रखा जाता है और नौ दिनों तक इसकी पूजा की जाती है।

  2. माता का आह्वान: कलश स्थापना के बाद देवी शैलपुत्री का आह्वान किया जाता है। इसके लिए मंत्रों का जाप और शंखनाद किया जाता है।

  3. सफेद वस्त्र धारण: नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा में सफेद वस्त्र धारण करने का विशेष महत्व है। यह शांति और पवित्रता का प्रतीक है।

  4. सात्विक भोजन: इस दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए। प्याज, लहसुन, और मांसाहार का त्याग करना चाहिए।

  5. ध्यान और ध्यान: नवरात्रि के पहले दिन ध्यान और ध्यान का विशेष महत्व है। यह मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति के लिए आवश्यक है।

नवरात्रि के पहले दिन के महत्व

चंद्रमा को देवी शैलपुत्री द्वारा शासित माना जाता है। चंद्रमा को भाग्य का स्वामी माना जाता है, इसलिए नवरात्रि के पहले दिन देवी की पूजा करने से भाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है। यह दिन नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, इस दिन की पूजा से मानसिक शांति, आत्मिक उन्नति और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

निष्कर्ष

नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा एक विशेष महत्व रखती है। यह दिन न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता और शुभता लाने वाला भी है। सही विधि से पूजा करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

इस नवरात्रि, देवी शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र और आरती का पालन करके आप अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। देवी की आराधना और साधना से आपके सभी कार्य सफल होंगे और आप अपने जीवन में खुशहाली और समृद्धि की प्राप्ति करेंगे।

नवरात्रि के अन्य दिन

नवरात्रि के प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है। पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा होती है, उसके बाद:

  • Navratri 2nd Day  – दूसरे दिन: देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा
  • Navratri 3rd Day – तीसरे दिन: देवी चंद्रघंटा की पूजा
  • Navratri 4th Day – चौथे दिन: देवी कुष्मांडा की पूजा
  • 5th Day of Navratri  – पांचवे दिन: देवी स्कंदमाता की पूजा
  • 6th Day of Navratri  – छठे दिन: देवी कात्यायनी की पूजा
  • 7th Day of Navratri  – सातवे दिन: देवी कालरात्रि की पूजा
  • 8th Day of Navratri – आठवे दिन: देवी महागौरी की पूजा
  • 9th Day of Navratri  – नौवें दिन: देवी सिद्धिदात्री की पूजा

इन सभी दिनों की पूजा विधि, मंत्र और आरती अलग-अलग होती हैं, और इनकी पूजा करने से अलग-अलग फल की प्राप्ति होती है।

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