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सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण कैसे और क्यों होते है विस्तार से समजे

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ग्रहण (Eclipse) एक खगोली घटना है जब एक खगोली शरीर अपने दूसरे के छाया में प्रवृत्त होता है, जिससे तात्कालिक रूप से पहले शरीर से आने वाली प्रकाश को छुपा देता है या अवरण कर देता है। पृथ्वी पर दो प्रमुख प्रकार के ग्रहण होते हैं: सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण।

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सूर्य ग्रहण: सूर्य ग्रहण तब होता है जब चाँद्रमा पृथ्वी और सूरज के बीच से गुजरता है, जिससे चाँद्रमा पृथ्वी के सतह पर अपनी छाया डालता है। एक पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान, चाँद्रमा पूरी तरह से सूरज को ढंक देता है, जिससे दिन के दौरान की एक अल्पकालिक अंधकार पैदा होता है। इसके अलावा, आंशिक और छायांकित सूर्य ग्रहण भी होते हैं, जिसमें चाँद्रमा केवल आंशिक रूप से सूरज को ढक देता है, जिससे विभिन्न स्तरों का अंधकार पैदा होता है। सूर्य ग्रहण को दुर्लभ घटनाएँ मानी जाती हैं और इन्हें केवल विशेष क्षेत्रों से देखा जा सकता है जो किसी विशिष्ट ग्रहण के समय के दौरान होते हैं।
चंद्र ग्रहण: चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूरज और चाँद्रमा के बीच से सीधे आती है, जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इससे चंद्रमा की सतह का काला हो जाता है। चंद्र ग्रहण अधिक सामान्य होते हैं और इन्हें चंद्रमा के दृश्य होने वाले पृथ्वी के रात की ओर किसी भी स्थान से देखा जा सकता है जब ग्रहण के समय पर चंद्रमा दिखता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में होता है, और इसका रंग धरती के वायुमंडल के माध्यम से सूर्य की प्रकाश को बिखेरने के कारण लाल हो सकता है। इस प्रकार की प्रक्रिया को कभी-कभी “रक्त चंद्रमा” के रूप में संदर्भित किया जाता है।

यह बात याद रखना महत्वपूर्ण है कि सूर्य ग्रहण को उचित आंख संरक्षण के बिना सीधे देखना हानिकारक हो सकता है। सूर्य ग्रहण को सुरक्षित रूप से देखने के लिए विशेष सूर्य चश्मा या पिन सूर्य ग्रहण कितनी देर तक रहता है: सूर्य ग्रहण की अवधि उसके प्रकार पर निर्भर करती है, जैसे कि क्या यह पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण या अनुरुप सूर्य ग्रहण है। पूर्ण सूर्य ग्रहण की अवधि कुछ मिनटों से लेकर कुछ मिनटों तक हो सकती है, आंशिक सूर्य ग्रहण की अवधि थोड़ी देर तक बढ़ सकती है, और अनुरुप सूर्य ग्रहण कुछ घंटों तक चल सकता है।

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सूर्य ग्रहण कितनी बार होते हैं:

सूर्य ग्रहण निर्भर करता है कि कितने वर्षों में और कितने बड़े क्षेत्रों में वे देखे जा सकते हैं। सामान्यत: सूर्य ग्रहण एक खगोली साल में 2 से 5 बार होते हैं।

सूर्य ग्रहण कब होते हैं:

सूर्य ग्रहण की तारीखें और अनुसूची प्रत्येक बार बदलती रहती हैं। इसके लिए एक ग्रहण कैलेंडर का उपयोग किया जा सकता है जो ग्रहणों की आगामी तारीखों को दर्शाता है।

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सूर्य क्यों होता है लाल:

सूरज का रंग लाल होता है जब विशेष प्रकार की रेखाओं के माध्यम से धरती के वायुमंडल में उसकी प्रकाश की बिखेरण होती है। इसे “ब्लड सन” कहा जाता है और यह किसी विशेष प्राकृतिक घटना के परिणामस्वरूप होता है, जैसे कि एक पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान।

चंद्र ग्रहण क्या है:

चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूरज और चंद्रमा के बीच से गुजरती है, जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है और चंद्रमा की सतह को काला हो जाता है।

रक्त चंद्र (Blood Moon):

जब एक पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा धरती की अवायविक वायुमंडल के माध्यम से प्रकाश की बिखेरण के कारण लाल होता है, तो इसे “रक्त चंद्र” कहा जाता है।

आज के ग्रहण (Eclipse Tonight) या लाल चंद्रमा (Red Moon):

आज के ग्रहण या लाल चंद्रमा के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको ग्रहण के समय और आपके स्थान के आधार पर स्थानीय खगोल जैसी वेबसाइटों या मोबाइल ऐप्स का उपयोग करना होगा।

अगला चंद्र ग्रहण कब है: अगला चंद्र ग्रहण की तारीखें बदलती रहती हैं, लेकिन आप एक ग्रहण कैलेंडर या खगोल एप्लिकेशन का उपयोग करके इसके आगामी दिनों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

आज के सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse Tonight): सूर्य ग्रहण की जानकारी के लिए आपको ग्रहण के समय और आपके स्थान के आधार पर स्थानीय खगोल वेबसाइटों या मोबाइल ऐप्स का उपयोग करना होगा।

याद रखें कि ग्रहण देखने के लिए सुरक्षित तरीकों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से सूर्य ग्रहण को देखने के लिए।

सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण कैसे और क्यों होते है विस्तार से समजे :

सबसे पहले हम जानते हैं सूर्य ग्रहण के बारे में सूर्य ग्रहण यह शब्द से पता चलता है कि सूर्य पर ग्रहण लगने वाला है दोस्तों सूर्य ग्रहण जब भी होता है तब हमेशा अमावस होती है यानी जब हमें चंद्रमा बिल्कुल भी नहीं दिखता सूर्य ग्रहण तभी होता है जब सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी अपने अक्ष पर एक ही लाइन में होते हैं जैसे कि यह है सूर्य यह है चंद्रमा और यह है हमारी पृथ्वी तीनों एक ही लाइन में है जब यह एक लाइन में आते हैं तब सूर्य ग्रहण होता है जब सूर्य ग्रहण होता है तो सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर पड़ता है और तभी चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है उसे वक्त जिस जगह पर चंद्रमा की छाया गिरती है वह जगह थोड़ी सी अंधेरा में होती है|

याद रखिए दोस्तों पूरे पृथ्वी पर अंधेरा नहीं होता है दोस्तों सूर्य ग्रहण के वक्त जब हम देखते हैं सूर्य पर जो काला काला दिखता है वह दरअसल चंद्रमा होता है अमावस्या के कारण चंद्रमा हमें नहीं दिखता यह इसलिए कि सूर्य का जो पूरा प्रकाश है वह चंद्रमा के पिछले बाजू पड़ता है और चंद्रमा की पिछली बाजू हम पृथ्वी से कभी भी नहीं देख पाए अभी हम चंद्र ग्रहण के बारे में जानते हैं चंद्र ग्रहण यानी चंद्रमा पर ग्रहण लगने वाला है दोस्तों चंद्र ग्रहण जब भी होता है तब हमेशा पूर्णिमा होती है यानी जब हमें चंद्रमा पूरा गोल दिखाई देता है पृथ्वी से चंद्र ग्रहण तभी होता है |

जब सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा अपने अक्ष पर एक ही लाइन में आते हैं जैसे कि यह है सूर्य यह है पृथ्वी और यह है चंद्रमा यह तीनों एक ही लाइन में है जब यह एक लाइन में होते हैं तभी चंद्र ग्रहण होता है दोस्तों अपने एक बात को गौर किया जब सूर्य ग्रहणहोता है तो सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी एक लाइन में आते हैं पर चंद्र ग्रहण होता है तो सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा एक लाइन में आते हैं जब चंद्र ग्रहण होता है तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर डायरेक्ट पड़ता है और तभी पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है यानी चंद्र ग्रहण के वक्त चंद्रमा पर जो काला काला दिखता है वह दरअसल हमारे पृथ्वी की छाया होती है दोस्तों पर जब पूरा चंद्र ग्रहण होता है तब चंद्रमा कुछ समय के लिए लाल दिखाई देता है |

यह इसलिए कि सूर्य का जो प्रकाश है पृथ्वी के वायुमंडल यानी एटमॉस्फेयर से टकराकर जाता है और जब वायुमंडल में टकराता है तो वह सात रंग में परिवर्तन होता है और सबसे ज्यादा लाल रंग की मात्रा चंद्रमा पर पड़ती है दोस्तों आपने कभी ना कभी सोचा होगा की अमावस और पूर्णिमा तो हर महीने आते हैं तो सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण हर महीने क्यों नहीं आतेइसका कारण यह है कि पृथ्वी के अक्ष पर चंद्रमा के अक्ष का झोका होना और यह झुकाव करीब 5 पॉइंट 15 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता इसी कारण से हर महीने सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण नहीं होते चंद्र ग्रहण पूरी पृथ्वी पर यानी जहां पर अंधेरा होता है वहां पर एक ही समय पर चंद्र ग्रहण होता है पर सूर्य ग्रहण थोड़े-थोड़े समय बाद थोड़े-थोड़े देश में होता है और यह चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण साल में दो बार होते हैं कभी-कभी एक साल में 3 से 4 बार चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण हो जाते है|

एक स्टडी के अनुसार हर 100 साल में 400 से 450 बार चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण होते हैं अगर ये जानकारी आपको अच्छी लगी होगी तो लाइक कर देना |

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