नवरात्रि के छठे दिन की पूजा: माँ कात्यायनी
नवरात्रि के नौ दिनों में, छठा दिन देवी दुर्गा के छठे स्वरूप, माँ कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है। देवी कात्यायनी की पूजा न केवल भक्तों को समृद्धि और स्वास्थ्य का वरदान देती है, बल्कि यह उनकी समस्याओं का भी निवारण करती है। आइए जानते हैं माँ कात्यायनी की महिमा, पूजा विधि, मंत्र, आरती और उनसे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
माँ कात्यायनी का परिचय
माँ कात्यायनी को ब्रहस्पति ग्रह की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। उनका जन्म ऋषि कात्यायन के यहाँ हुआ था, इसलिए उन्हें कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। वे देवी पार्वती का एक रूप हैं और उनका स्वरूप अत्यंत मनोहारी है। माँ कात्यायनी की चार भुजाएँ हैं, वे एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का फूल धारण करती हैं। शेष दो हाथों में अभय और वर मुद्रा हैं। उनकी सवारी एक शानदार शेर है।
माँ कात्यायनी की कथा
कथाओं के अनुसार, महिषासुर ने भगवान ब्रह्मा को तपस्या कर अजेय होने का वरदान प्राप्त किया था। उसे यह वरदान मिला था कि वह केवल एक महिला के हाथों ही मारा जा सकता है। महिषासुर ने तीनों लोकों में आतंक मचा दिया और देवताओं को हराकर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। इस संकट से उबरने के लिए देवताओं ने त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – की सहायता से देवी कात्यायनी का आवाहन किया। देवी ने महिषासुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई।
माँ कात्यायनी की पूजा विधि
माँ कात्यायनी की पूजा विधि में विशेष सावधानी और श्रद्धा की आवश्यकता होती है। पूजा विधि निम्नलिखित है:
- स्नान और शुद्धिकरण: प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
- माँ कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र स्थापना: पूजा स्थल पर माँ कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- आसन: देवी के समक्ष आसन पर बैठें और मन को शुद्ध करें।
- संकल्प: हाथ में जल, अक्षत (चावल), फूल लेकर संकल्प लें।
- ध्यान और आवाहन: ध्यान मुद्रा में बैठकर माँ कात्यायनी का आवाहन करें।
- पूजन सामग्री: माँ कात्यायनी को लाल वस्त्र, लाल फूल, रोली, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग) आदि अर्पित करें।
- मंत्र जाप: माँ कात्यायनी के मंत्र का जाप करें।
- आरती और प्रसाद वितरण: अंत में माँ कात्यायनी की आरती करें और प्रसाद बांटें।
माँ कात्यायनी के मंत्र
माँ कात्यायनी के निम्नलिखित मंत्र का जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है:
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
चन्द्रहासोज्जवलकराशाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
माँ कात्यायनी की आरती
माँ कात्यायनी की आरती इस प्रकार है:
जय-जय अम्बे जय कात्यायनी
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत हैं कहते
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली
बृहस्पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यायनी का धरिए
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को ‘चमन’ पुकारे
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
माँ कात्यायनी की महिमा
माँ कात्यायनी को देवी पार्वती के योद्धा रूप में जाना जाता है। वे भक्तों के सभी कष्टों और समस्याओं को दूर करती हैं। उनकी पूजा से भक्तों को अद्भुत शांति और सुख की प्राप्ति होती है। वे दानवों और असुरों का नाश करने वाली देवी हैं और उनके उपासक को निडरता और आत्मविश्वास का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
माँ कात्यायनी की पूजा में शामिल विशिष्ट उपाय
माँ कात्यायनी की पूजा में कुछ विशिष्ट उपाय शामिल हैं, जो उनकी कृपा प्राप्त करने में सहायक होते हैं:
- लाल वस्त्र पहनना: माँ कात्यायनी को लाल रंग अत्यंत प्रिय है, इसलिए पूजा के समय लाल वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।
- लाल फूलों का उपयोग: माँ कात्यायनी की पूजा में लाल फूल अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
- सप्तमी तिथि का ध्यान: माँ कात्यायनी की पूजा सप्तमी तिथि को विशेष फलदायी होती है। इस दिन विशेष व्रत और पूजा करने से समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
- नैवेद्य में गुड़ का भोग: माँ कात्यायनी को गुड़ का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ होता है। इससे भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
माँ कात्यायनी के अन्य प्रसिद्ध मंदिर
माँ कात्यायनी के प्रमुख मंदिरों में से कुछ इस प्रकार हैं:
- कात्यायनी मंदिर, वृंदावन: यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित है और माँ कात्यायनी को समर्पित है। यह मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है और यहाँ वर्षभर भक्तों का तांता लगा रहता है।
- चमत्कारी देवी मंदिर, काशीपुर: उत्तराखंड के काशीपुर में स्थित यह मंदिर माँ कात्यायनी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
- कात्यायनी मंदिर, अयोध्या: यह मंदिर अयोध्या में स्थित है और नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा और उत्सव का आयोजन होता है।
माँ कात्यायनी की पूजा के लाभ
माँ कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे:
- स्वास्थ्य और समृद्धि: माँ कात्यायनी की पूजा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और समृद्धि प्राप्त होती है।
- संकटों का निवारण: उनकी पूजा से जीवन के सभी संकट और समस्याएँ दूर होती हैं।
- निडरता और आत्मविश्वास: माँ कात्यायनी की कृपा से भक्तों में निडरता और आत्मविश्वास का संचार होता है।
- परिवार में सुख-शांति: उनकी पूजा से परिवार में सुख-शांति और सामंजस्य बना रहता है।
FAQs
1. माँ कात्यायनी की पूजा का समय क्या है?
माँ कात्यायनी की पूजा प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में करना शुभ माना जाता है।
2. माँ कात्यायनी की पूजा में कौन-कौन सी सामग्री चाहिए?
लाल वस्त्र, लाल फूल, रोली, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, गंगाजल, जल का पात्र आदि।
3. माँ कात्यायनी के मंत्र का क्या महत्व है?
माँ कात्यायनी के मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति, शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
4. माँ कात्यायनी का आवाहन कैसे किया जाता है?
माँ कात्यायनी का आवाहन ध्यान मुद्रा में बैठकर, संकल्प लेकर और मंत्र जाप करके किया जाता है।
5. माँ कात्यायनी की पूजा में कौन से विशेष उपाय अपनाने चाहिए?
लाल वस्त्र पहनना, लाल फूल अर्पित करना, सप्तमी तिथि को विशेष पूजा करना, और नैवेद्य में गुड़ का भोग अर्पित करना।
निष्कर्ष
नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है। उनकी आराधना से भक्तों को अद्भुत शांति, समृद्धि और शक्ति प्राप्त होती है। माँ कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र और आरती को सही ढंग से संपन्न करने से सभी प्रकार के कष्टों और समस्याओं से मुक्ति मिलती है। आइए, इस नवरात्रि माँ कात्यायनी की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय बनाएं।
नवरात्रि के अन्य दिन
नवरात्रि के प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है। पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा होती है, उसके बाद:
- Navratri 1st Day – पहले दिन: देवी शैलपुत्री की पूजा
- Navratri 2nd Day – दूसरे दिन: देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा
- Navratri 3rd Day – तीसरे दिन: देवी चंद्रघंटा की पूजा
- Navratri 4th Day – चौथे दिन: देवी कुष्मांडा की पूजा
- 5th Day of Navratri – पांचवे दिन: देवी स्कंदमाता की पूजा
- 7th Day of Navratri – सातवे दिन: देवी कालरात्रि की पूजा
- 8th Day of Navratri – आठवे दिन: देवी महागौरी की पूजा
- 9th Day of Navratri – नौवें दिन: देवी सिद्धिदात्री की पूजा
इन सभी दिनों की पूजा विधि, मंत्र और आरती अलग-अलग होती हैं, और इनकी पूजा करने से अलग-अलग फल की प्राप्ति होती है।